झुलसता नाइजीरिया
२९ मार्च २०१३नाइजीरिया के नाइजर डेल्टा में जंगलों के बीचों बीच कुछ युवा गैरकानूनी ढंग से तेल निकालते हैं. कई बार तो वे जान जोखिम डालकर एक ही दिन में एक हजार लीटर पेट्रोल बना लेते हैं. जमीन के पाइपों के जरिए खींचे गए काले कच्चे तेल को पेट्रोल में बदलने के लिए उबालना पड़ता है. 400 डिग्री से ज्यादा तापमान पैदा करने के लिए आग भड़काई जाती है. इसका धुआं इतना जहरीला होता है कि कई बार सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है. धुएं से आसपास के लोग बीमार हो रहे हैं. इलाके की जीवन प्रत्याशा सिर्फ 40 साल है, राष्ट्रीय औसत से 10 साल कम.
तस्करी सुलगाती गरीबी
गैरकानूनी तरीके से तेल निकालने वाले जोशुआ कहते हैं, "अगर हमारे पास अच्छी नौकरी होगी तो हम यह काम छोड़ देंगे. यह बहुत खतरनाक और जोखिम भरा है. यहां दो या तीन बार आग बेकाबू हो चुकी है. हमारा एक साथी बुरी तरह जल गया था और उसका शरीर बुरी तरह झुलस गया था."
बीते महीनों में ऐसी सैकड़ों गैरकानूनी देसी रिफाइनरियां जंगल में घुसी हैं. पुलिस और सेना इन्हें देखकर आंखें मूंद लेते हैं. जोशुआ का कहना है, "देखिए, यह नाइजीरिया है. थोड़े पैसे में आप पुलिस से बच सकते हैं. वे जानते हैं कि हम ये सब गरीबी और बेरोजगारी की वजह से कर रहे हैं, इसीलिए जब वे किसी को पकड़ते हैं तो हम उनके सामने गिड़गिड़ाते हैं और थोड़े पैसे लेकर वे हमें छोड़ देते हैं."
जुगाड़ भरोसे लगी ये पाइपें रात दिन लीक होते हैं. भ्रष्टाचार और अनदेखी से नाइजर डेल्टा का पर्यावरण तबाह होता जा रहा है. केवल स्थानीय माफिया ही नहीं, बड़ी बड़ी तेल कंपनियां भी इसकी जिम्मेदार हैं. दिग्गज कंपनी शेल ने कई दशकों तक यहां तेल निकाला. लेकिन लीकेज बंद करने में लापरवाही की.
चिराग तले अंधेरा
खुले में गैस जलाना कंपनियों के लिए जितना सस्ता और आसान है, पर्यावरण और लोगों के लिए उतना ही घातक. बाएलजा राज्य में बड़ी तेल कंपनियां पाबंदी के बावजूद हानिकारक धुआं छोड़ रही है. धुएं में कम से कम 250 जहरीले तत्व हैं. इनसे कैंसर, दमा और खून संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. बाएलजा में बड़ी रिफाइनरियों के करीब रहने वाले लोग लोग हमेशा शरीर में दर्द की शिकायत करते हैं. एक स्थानीय निवासी का कहना है, "कंपनी वाले हमसे जानवर जैसा व्यवहार करते हैं. उन्हें हमारी परेशानी का अंदाजा नहीं. हमें टॉयलेट के लिए जंगल जाना पड़ता है और वे ऐसे घरों में रहते हैं, जिनका टॉयलेट ही हमारे पूरे घर से बेहतर है."
बढ़ते विरोध के बीच शेल ने लीक होते पाइपों को बंद करने का वादा तो किया, लेकिन पैसों की कमी के बहाने भी बनाए. बीते साल शेल ने दुनिया भर में 31 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया. कंपनी से नुकसान की भरपाई करने को कहा जा रहा है. स्थानीय लोग कंपनी के खिलाफ आए दिन प्रदर्शन करते हैं. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक पर्यावरण के जख्म इतने गहरे हो चुके हैं कि उन्हें ठीक करने में अब सैकड़ों अरब डॉलर और कई दशक लगेंगे.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
संपादन: ईशा भाटिया