दक्षिण एशिया में नाबालिगों की शादी में कमी
१६ मई २०१२नाबालिगों के विवाह पर ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में चौदह साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी के मामलों में भारी कमी देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार कम उम्र में शादी ना होने से महिलाओं की सेहत पर अच्छा असर होने की उम्मीद की जा सकती है.
भारत में 1991 से 1994 के बीच चौदह साल से कम उम्र में शादी कर दी जाने वाली लड़कियों की संख्या 10 प्रतिशत थी. 2005 से 2007 के बीच यह कम हो कर 6 प्रतिशत हो गई. वहीं बांग्लादेश में 1991 से 1994 के बीच यह संख्या 34 प्रतिशत थी, जो 2005 से 2007 के बीच 19 प्रतिशत हो गई. इसी दौरान पाकिस्तान में यह संख्या कम हो कर छह से तीन प्रतिशत रह गई.
पढ़ाई का असर
इन देशों में 16 से 17 साल की उम्र की लड़कियों की शादी की संख्या में कोई बदलाव नहीं देखा गया. बांग्लादेश में यह संख्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है. वहां अकसर अठरह साल की उम्र से पहले ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है. इस रिपोर्ट की मुख्य लेखिका यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के सेन डियागो स्कूल ऑफ मेडिसिन की अनीता राज का इस बारे में कहना है, "सबसे कम एज ग्रूप में आकस्मिक कमी आई है, लेकिन सबसे ज्यादा एज ग्रूप के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते."
अपनी रिसर्च के लिए अनीता राज और उनकी टीम ने चारों देशों के 1997 से 2007 तक के आंकड़े जमा किए. उन्होंने 20 से 24 साल की महिलाओं के बारे में जानकारी जमा की और देखा कि इनमें से कितनी महिलाओं की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले हो गई थी. अनीता राज ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इस कमी का एक बड़ा कारण यह है कि लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर जागरुकता बढ़ रही है. दक्षिण एशिया के सभी देशों में स्कूली शिक्षा 15 से 16 साल की उम्र में पूरी होती है. भारत की ही तरह नेपाल और बांग्लादेश में लड़कियों के लिए शादी की उम्र अठारह साल है, जबकि पाकिस्तान में यह सोलह साल है.
प्रसव के बाद डिप्रेशन
इन देशों में लड़कियों की जल्दी शादी रोकने के लिए और लोगों को इसके लिए जागरुक करने के लिए कई अभियान चलाए जाते हैं. भारत सरकार टीवी, रेडियो और अखबार में विज्ञापन दे कर भी लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश करती रही है. कम उम्र में शादी और फिर मां बनने के कारण दक्षिण एशिया के इन सभी देशों में महिलायों की सेहत पर बुरा असर पड़ता रहा है. कम उम्र में बच्चा पैदा होना ज्यादातर मामलों में जच्चा और बच्चा दोनों के लिए हानिकारक होता है. कई बार जन्म देते समय ही लड़कियों की जान चली जाती है. कम उम्र होने के कारण कई बार नौ महीने पूरे होने से पहले ही प्रसव हो जाता है.
मां बनने के बाद कई बार उन्हें डिप्रेशन से भी गुजरना पड़ता है. अमेरिका में एक अस्पताल के टीन प्रेगनेंसी सेंटर में काम करने वाली मॉनिका जॉनसन बताती हैं कि इस दौरान उन्हें बेहद प्यार और देखभाल की जरूरत होती है, "अगर बच्चा होने से पहले उनकी ठीक तरह देख भाल की जाए और उन्हें भावनात्मक सहायता दी जाए तो इन बच्चियां को इस (डिप्रेशन) से बचाया जा सकता है."
अनीता राज का कहना है कि गरीब और कम पढ़े लिखे परिवार की लड़कियों को खतरा सबसे अधिक है. उनके अनुसार अगर लड़कियों को पढ़ाई और रोजगार के ज्यादा मौके मिल सकें तो स्थिति सुधर सकती है.
आईबी/एमजे (रॉयटर्स)