'दर्पण' के आर-पार, कितने संसार?
२५ मार्च २०११भारत की पुरानी धार्मिक परंपरा के तहत दुनिया को मायाजाल बताया गया है, किसी का रचा हुआ करतब या कोई जादू जैसा. इस तरह के मायाजाल या जादू की बात पर एक लोकप्रिय अंग्रेज़ी किताब की बात भी ध्यान में आती है. लुइस कैरल की 'ऐलिसिज़ ऐडवैंचर्ज़ इन वन्डरलैंड', की नायिका ऐलिस एक दर्पण में से गुजरती है और उस पार उसका सामना एक समांतर दुनिया से होता है, जहां किताबों के शीर्षक उलटे हैं, जहां उस समय सर्दी का मौसम है, जबकि बाहर ऐलिस की अपनी असली दुनिया में गर्मी के दिन हैं. सन 1871 में क्या गजब कल्पना के मालिक थे, किताब के लेखक कैरल, जिन्होंने एक समानांतर दुनिया का नजारा देखा ही नहीं, अपने पाठकों को भी दिखाकर खूब लुभाया.
लेकिन अगर समानांतर ब्रह्मांड की यह कल्पना वास्तव में एक सच हो तो? शायद ऐसे ब्रह्मांड में दर्पण के रास्ते दाख़िल नहीं हुआ जा सकता. शायद उसके लिए गणित के किसी समीकरण की जरूरत हो. क्या गणित यह बता कर सकता है कि हमारा ब्रह्मांड बार बार और ब्रह्मांडों के रूप में प्रतिबिंबित होता है, ऐसे ब्रह्मांडों के रूप में जहां हम अभी तक पहुंच नहीं पाए हैं? जाहिर है, उनका होना हमारी समझ में समा भी कैसे सकता है.
क्या ऐसा मुमकिन है? कोई नहीं जानता. लेकिन यदि ऐसी दुनियाएं हैं, तो उन तक पहुंचने का रास्ता अगर कोई अच्छी तरह दिखा या समझा सकता है, तो वह हैं ब्रायन ग्रीन. न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय के ग्रीन दुनिया के जाने माने भौतिकीविदों में से एक हैं. इस ब्रह्मांड के पार के ब्रह्मांडों की पहेली की चर्चा उन्होंने अपनी नई पुस्तक में की है. पुस्तक का नाम है 'हिडन रियैलिटी, पैरेलल यूनिवर्सिज ऐंड द डीप लॉ ऑव द कॉस्मोज.'
वास्तविकता के अनेक रूप
ब्रायन ग्रीन का कहना है कि विज्ञान में समांतर ब्रह्मांडों की चर्चा कोई नई बात नहीं है, "हमारा ब्रह्मांड अनेक ब्रह्मांडों में से एक है, इस धारणा का इतिहास 1950 के दशक से शुरू होता है, क्वांटम मैकैनिक्स कहे जाने वाले विषय से. तब गणित में किए गए काम से ये संकेत मिला कि दरअसल एक से अधिक वास्तविकताओं का होना संभव है, जिनमें से एक वास्तविकता हमारी हो सकती है."
ग्रीन कहते हैं कि परंपरा से हमारा ब्रह्मांड हमारे लिए उस सब कुछ का जोड़ रहा है, जो मौजूद है. लेकिन पिछले दशकों के शोध और अनुसंधान से पता चलता है कि सभी सितारों, आकाशगंगाओं और सभी कुछ का यह जोड़, कहीं अधिक बड़े, ऐसे वजूद का एक हिस्सा मात्र है, जिसमें और ब्रह्मांड शामिल हो सकते हैं. ग्रीन के अनुसार जिस 'बिग बैंग' या महाविस्फोट के बारे में हम जानते हैं, वह कोई इकलौती घटना नहीं है, "गणित से संकेत मिलता है कि एक कहीं अधिक बड़ी सृष्टि में अलग-अलग दूर स्थलों पर कई महाविस्फोट होने चाहिए. हर विस्फोट से एक फैलते बुलबुले का जन्म हुआ होना चाहिए और हमारा ब्रह्मांड उनमें से एक विस्फोट की उपज. तो, इससे इस बात की एक ठोस तस्वीर मिलती है कि हमारा ब्रह्मांड, कैसे, अनेकों में से एक होना चाहिए."
कहीं आपका भी है संस्करण
ग्रीन के अनुसार, पदार्थ यानी मैटर का संयोजन कई अलग-अलग तरह से हो सकता है, लेकिन कुल मिलाकर पदार्थ के इन संयोजनों की गिनती सीमित होनी चाहिए. जाहिर है कि ये संयोजन अंतरिक्ष के लगातार फैलते विस्तार में किसी न किसी मुकाम पर दोहराए जाएंगे. इसीलिए हूबहू या लगभग हूबहू समानांतर ब्रह्मांडों की कल्पना की जाती है, जिनमें हमारी दुनिया के, और हमारे भी बकायदा प्रतिरूप होंगे, "यह ब्रह्मांड की हमारी आधुनिक गणितीय जांच पड़ताल से मिलने वाले विचारों में से एक है. अगर अंतरिक्ष अनिश्चित रूप से दूर, और दूर चलता चला जा रहा है, जो एक वास्तविक संभावना है, तो गणित से पता चलता है कि सृष्टि में हमारे और संस्करण भी होंगे, जो इसी तरह, यही बातचीत कर रहे होंगे."
ग्रीन अनिश्चित सीमा वाले बहुब्रह्मांड की, मल्टीवर्स की तुलना, मोटे तौर पर डबलरोटी से करते हैं, और उसमें मौजूद ब्रह्मांडों की उसके स्लाइसों से. उनका कहना है कि जारी परीक्षणों से शायद अनेक ब्रह्मांडों की धारणा की पुष्टि हो पाएगी, "स्विट्ज़रलैंड में स्थित विशाल ऐक्सलरेटर लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में प्रोटॉन से प्रोटॉन भारी गति से टकराए जाते हैं, और 'स्ट्रिंग सिद्धांत' कहलाने वाली धारणा से संकेत मिलता है कि उससे पैदा होने वाला कुछ मलबा शायद हमारे ब्रह्मांड से बाहर जा छिटके. और यह बात तब साबित होगी, अगर कोलाइडर में ऊर्जा की कुल मात्रा टक्कर से पहले की मात्रा के मुक़ाबले कम हो जाए. ऐसा हो तो यह प्रमाणित हो सकता है कि और ब्रह्मांड मौजूद हैं."
पड़ताल के अहम छोर पर
ग्रीन स्वीकार करते हैं कि फिलहाल हम यह नहीं कह सकते कि यह विचार सही है, "हम नहीं जानते कि ये धारणाएं सच हैं या नहीं. हम पड़ताल के एक भारी महत्व वाले छोर पर हैं. मुद्दा यह है कि ये, होश खो बैठे वैज्ञानिकों की कोरी कल्पनाएं नहीं हैं. हम वास्तविकता तक पहुंचने के लिए गणित के सिद्धांतों का अध्ययन करते हैं. फिर गणित हमें चाहे जहां भी ले जाए. और गणित के कुछ सिद्धांतों से इस अजीबोगरीब संभावना का पता चलता है कि और ब्रह्मांड हो सकते हैं. हालांकि हम इस पर तब तक विश्वास नहीं करेंगे, जब तक परीक्षणों से प्रमाण नहीं मिल जाता. यह बात गहरे महत्व की है."
'हिडन रिएलिटी' के अलावा ग्रीन की अन्य पुस्तकें हैं, 'द ऐलिगैंट यूनिवर्स' और 'द फैब्रिक ऑव द कॉस्मोज.' वह 'सुपरस्ट्रिंग थ्योरी' पर अपने काम की विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं. 'सुपर स्ट्रिंग थ्योरी' यानी यह धारणा कि सभी कुछ ऊर्जा के सूक्ष्म, स्पंदित धागों से निर्मित है.
ग्रीन कहते हैं कि वह एक से अधिक ब्रह्मांडों या समानांतर ब्रह्मांडों या बहुब्रह्मांड की जो बात करते हैं, वह मनगढ़ंत कल्पना पर आधारित नहीं है, बल्कि वह यह बात तर्क के एक ढांचे के भीतर करते हैं. वह कहते हैं, "प्रतिदिन की सामान्यता से बाहर निकलकर, ब्रह्मांड को उसके भव्यतम रूप में गणित के नियमों के अधीन देखना मेरे लिए बेहद, बेहद रोमांचक है. "
रिपोर्ट: गुलशन मधुर, वॉशिंगटन
संपादन: ओ सिंह