दलाई लामा ने कहा, वही चुनेंगे उत्तराधिकारी
१९ जुलाई २०११अमेरिकी यात्रा के दौरान शनिवार को दलाई लामा का राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में स्वागत किया और उनसे लंबी मुलाकात की. चीन ने इस मुलाकात का कड़ा विरोध किया है. चीन दलाई लामा को किनारे करने की लगातार कोशिश करता रहा है लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा है. अमेरिकी यात्रा के दौरान वह जहां जहां गए, उनके कार्यक्रमों में भारी भीड़ उमड़ी. बहुत से तिब्बती मानते हैं कि चीन सरकार उनकी मौत का इंतजार कर रही है. इन लोगों के मुताबिक चीन समझता है कि दलाई लामा की मौत के साथ ही तिब्बती लोगों की मांग भी खत्म हो जाएगी.
अमेरिकी यात्रा के दौरान ही 76 साल की आयु पूरी करने वाले दलाई लामा की सेहत फिलहाल ठीक है और उन्होंने जोर दे कर कहा कि वह अपना उत्तराधिकारी चीन को नहीं चुनने देंगे. अमेरिकी टेलीविजन एनबीसी से बातचीत में दलाई लामा ने कहा, "दलाई लामा का पुनर्जन्म या अगला जीवन यह मुझसे जुड़ा है इसमें किसी और को कुछ नहीं करना. मेरा अगला जीवन आखिरकार मैं ही तय करूंगा, कोई और नहीं." चीन के नेताओं की ओर इशारा करते हुए दलाई लामा ने कहा, "हाल ही में उन्होंने कुछ नीतियां बनाई हैं लेकिन वह सब बेतुकी हैं."
परंपरा तोड़नी है
यह साफ नहीं हो सका कि दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी के चुनाव को नियंत्रित करने के बारे में व्यवहारिक रूप से कह रहे थे या आध्यात्मिक रूप से. तिबब्ती परंपरा में धर्मगुरू एक बच्चे की पहचान करके यह बताते हैं कि इसके रूप में ही लामा का पुनर्जन्म हुआ है. दलाई लामा ने पहले कहा था कि वह इस परंपरा को तोड़ना चाहते हैं और वह अपनी मौत से पहले ही अपने उत्तराधिकारी को चुन लेंगे. दलाई लामा ने यह भी कहा कि वो किसी लड़की को भी चुन सकते हैं.
चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है जो आधिकारिक रूप से नास्तिक है. चीनी नेतृत्व ने मार्च 2010 में कहा कि अगले दलाई लामा चुनने का सर्वोच्च अधिकार उनके पास है और उनकी सहमति की मुहर लगे बगैर दलाई लामा का चुनाव कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा. 1995 में चीन ने दलाई लामा की पसंद को पंचन लामा मानने से इनकार कर दिया. तिब्बती बौद्धों के बीच यह सबसे बड़ा पद है. चीनी सरकार ने इस जगह पर अपनी पसंद के लड़के को बिठाया.
तिब्बत में 'दमन'
चीन की सरकार ने जिसे पंचन लामा के रूप में आगे बढ़ाया है, उनका नाम ग्याइनकैन नोरब है और उनकी उम्र अब 21 साल हो चुकी है. वह अक्सर तिब्बत पर चीन के शासन की सराहना करते रहते हैं. दलाई लामा ने इस पद के लिए गेधुन चोईकी नीमा को चुना था पर उन्हें 1995 के बाद से ही कभी नहीं देखा गया. उनके बारे में दलाई लामा ने बताया कि कई सालों से उन्हें नजरबंद करके रखा गया है. तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में दलाई लामा ने कहा, "हर सप्ताह कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है और उन्हें गंभीर यातना दी जाती है, यह बहुत दुखद है."
दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी पर चीनी सरकार के नियंत्रण सीमित करने के लिए आधिकारिक रूप से अपनी राजनीतिक भूमिका से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद निर्वासन में रह रहे तिब्बती लोगों के वोटों से नए प्रधानमंत्री का चुनाव हुआ. दलाई लामा ने कहा कि उन्हें अपने फैसले पर गर्व है और फिर हंसते हुए बताया कि अब वह रात में चैन से सो पाते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ए कुमार