दशहरी, लंगड़ा और चौसा पहुंच ही गए चीन
१६ सितम्बर २०१०भारत ने इस साल पहली बार अपने आम चीन को भेजे हैं. एफआईईओ सचिव जनरल जीपी उपाध्याय ने बताया, "इस साल पहली बार भारत ने दशहरी, लंगड़ा, चौसा जैसे स्वादिष्ट आमों की पहली खेप चीन को निर्यात की है." 2001 में विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बनने के बाद चीन ने भारतीय सब्जियों और फलों पर कई तरह की रोक लगा दी थी और उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाया था. अब चीन ने भारत के आमों को हरी झंडी दी है. इसी के साथ भारत की मुख्य निर्यातक संस्था एफआईईओ को उम्मीग है कि लीची, नाशपाती, सेब जैसे फलों के साथ ही सब्जियों को भी चीन निर्यात किया जा सकेगा.
हालांकि भारत के व्यापारी कई साल चीन में अलग अलग मेलों में अपने आम ले जाते रहे हैं लेकिन कड़े नियमों के कारण वे इन आमों को कभी निर्यात नहीं कर सके. इन पर कई तरह के नॉन टैरिफ बैरियर थे. जानवरों और पौधों के लिए बनाए गए एसपीएस नियामकों के कारण भारत सब्जियों और फलों का निर्यात चीन को नहीं कर पा रहा था. पौधौं, जानवरों और लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए एसपीएस नियामक बनाए जाते हैं. हालांकि कृषि उत्पादों में वैश्विक मानकों का भारत ध्यान रखता रहा है. उपाध्याय ने बताया कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा की चीन यात्रा के दौरान ये मुद्दा भी उठाया गया था.
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, दोनों के बीच 2008-09 में 42 अरब डॉलर का व्यापार हुआथा.
रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम
संपादनः एस गौड़