दुनिया भर में जड़ें जमाता भारत का शास्त्रीय नृत्य
८ मई २०११कई देशों के लड़के लड़कियां आकर भारत में शास्त्रीय नृत्य की विधिवत शिक्षा ले रहे हैं. कजाकिस्तान से 18 साल का एक लड़का भरतनाट्यम सीख रहा है तो एक रूसी लड़का 10 साल की उम्र से मोहिनीअट्ट्म की शिक्षा ले रहा है. वहीं एक अमेरिकी ओडिसी में दक्ष होने की तैयारी में है. यह सब नृत्य सीखने के लिए भारत में ही आ बसे हैं.
पद्मश्री सरोजा वैद्यनाथन दुनिया भर के लोगों को भरतनाट्यम सीखाती हैं. उनका कहना है कि भारतीय नृत्य का आध्यात्मिक तत्व उन्हें अपनी ओर खींचता है. "मेरे पास दुनिया भर से बच्चे आते हैं. रूस, बल्गेरिया, स्पेन, ब्राजील. भारतीय कला का मूल तत्व, यानी आध्यात्म, उन्हें पसंद है. वह इस संस्कृति का हिस्सा बनना चाहते हैं."
मां के कारण
कजाकिस्तान से आई कासियत अदिलखानकिजी देश को छोड़ भारतीय शास्त्रीय नृत्य सीखने भारत आ गई हैं. "मेरी मां की भारतीय संस्कृति के लिए रुचि के कारण मैं डांसर बन गई हूं. मैं कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन समारोह में भरतनाट्यम करने वाले ग्रुप का हिस्सा थी."
रूस की ओल्गा स्तोलियारोवा तो भारत की इतनी दीवानी हैं कि मोहिनीअट्टम सीखने के साथ ही उन्होंने अपना नाम भी बदल कर प्रिया कर लिया है. वह पद्मश्री भारती शिवाजी और विजयालक्ष्मी से कई साल से मोहिनीअट्टम की शिक्षा ले रही हैं. "मैं मॉस्को से हूं लेकिन डांस और भारत के लिए मेरे प्रेम के कारण यहां आ गई. अब पीछे मुड़ कर नहीं देखना है. मैंने भारत और रूस के कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सवों में भाग लिया है."
विदेशियों की बढ़ती रुचि
हाल ही में नई दिल्ली में अनबाउंड बीट्स ऑफ इंडिया समारोह में भारत में शास्त्रीय नृत्य सीख रहे विदेशी कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया. ओड़िसी नृत्यांगना रंजना गौहर कहती हैं, "इस समारोह का उद्देश्य था विदेशों से आए नए कलाकारों को प्रोत्साहन देना और उन्हें अपनी कला दिखाने का मौका देना."
अमेरिका की अमेंडा गेरॉय ने भी इस समारोह में प्रस्तुति दी. "मैं छह साल की उम्र से डांस कर रही हूं. पहले सात साल मैंने सैन फ्रांसिस्को में गुरू ज्योति राउत से सीखा. दिसंबर 2006 से मैं उड़ीसा में रह रही हूं और सुजाता मोहापात्रा से भुवनेश्वर में इसकी बारीकियां सीख रही हूं."
जर्मनी की अगर बात करें तो यहां ओड़िसी में दक्ष जर्मन कलाकार हैं गुडरुन मैर्टिन्स, जो न केवल भारतीयों को, बल्कि कई देशों के बच्चों को ओड़िसी सिखाती हैं. उनसे सीखने वालों में बल्गेरिया की डेनित्सा कात्सारोवा, तो हैम्बर्ग में पली बढ़ीं पूजा दोषी भी शामिल हैं. वहीं जर्मनी के एसन शहर में पंडित बिरजू महाराज की शिष्य दुर्गा आर्य रहती हैं जिनके पास जर्मन लड़के लड़कियां भी कथक सीखते हैं.
यह बात अलग है कि भारत में बच्चे और उनके पालक हिप हॉप, टैंगो, साल्सा और मॉडर्न डांस के पीछे भाग रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एमजी