दुनिया भर में मंडेला दिवस
१८ जुलाई २००९अमेरिकी शहर न्यू यॉर्क से लेकर दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहानिसबर्ग तक में धूम मची है. हालांकि बुज़ुर्ग मंडेला अपना जन्मदिन अपने परिवार के साथ घर पर मना रहे हैं. अश्वेतों को अधिकार दिलाने के अपने विशाल संघर्ष के लिए नेल्सन मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार भी मिल चुका है.
मंडेला से जुड़ी एक चैरिटी संस्था ने उनके इस जन्मदिन को 'मंडेला डे' यानी 'मंडेला दिवस' के रूप में मनाने का फ़ैसला किया. रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ संघर्ष में मंडेला को कई साल तक जेल में रहना पड़ा था लेकिन बाद में 1994 में वह दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने.
इस दिवस के मौक़े पर दुनिया भर के लोगों से अपील की गई है कि वे अपने दिन का 67 मिनट चैरिटी सेवा के लिए लगाएं. यह नंबर मंडेला के संघर्ष के सालों को दर्शाता है. वह 1942 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस में शामिल हुए थे. पूर्व दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति की नज़दीकी दोस्तों में शामिल ओपेरा विन्फ्री ने भी लोगों से अपील की है कि वे इस दिवस का समर्थन करें.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा ने भी इस दिन पर ख़ुशी का इज़हार किया है और कहा है कि ख़ुद उनके देश को यह दिवस मनाने में काफ़ी साल लग गए. ज़ुमा ने कहा, "अगर दुनिया में किसी को भी ऐसे महान आदर्श की कहानी बतानी हो, जिसने अपना जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया हो, तो मदीबा (नेल्सन मंडेला) की 91 साल की कहानी सबसे उपयुक्त होगी."
नेल्सन मंडेला ने एक कार्यकाल पूरा करने के बाद 1999 में पद छोड़ दिया था. हालांकि इसके बाद भी वह एड्स और रंगभेद के ख़िलाफ़ अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एम गोपालाकृष्णन