दुराचार के शिकार पोप के वक्तव्य से मायूस
१७ सितम्बर २०१०अखबारों में ज्यादातर लेखों में यही कहा गया है कि पीड़ितों की नजर में पोप के वक्तव्य काफी नहीं होंगे. अपनी चार दिन की ब्रिटेन यात्रा के दौरान विमान में पत्रकारों से बात करते हुए पोप बेनेडिक्ट ने कहा कि पादरियों और ननों द्वारा बच्चों के साथ यौन दुराचार की घटनाओं को रोकने के मामले में गिरजे के अधिकारी पर्याप्त रूप से चौकस नहीं रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि कैथलिक गिरजे ने जल्द व कड़े कदम नहीं उठाए, जो आवश्यक था.
इटली के समाचार पत्र इल फात्तो कुओतिदियानो के समीक्षक मार्को पोलिति का कहना है कि पोप की सदाशयता में कोई संदेह नहीं है, लेकिन पीड़ितों के संगठनों के लिए यह काफी नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वैटिकन की आलोचना इसके बाद भी जारी रहेगी.
यौन दुराचार के शिकार भूतपूर्व बच्चों के संगठन स्नैप ने कहा है कि मामले की लीपापोती के लिए पोप द्वारा दिया गया वक्तव्य दुखदायी है, मददगार नहीं. संगठन के प्रतिनिधि जोएल कैस्टेरिक्स ने एक वक्तव्य में कहा है कि यह कहना गलत है कि गिरजे के अधिकारी ढीले ढाले थे. इसके विपरीत उन्होंने ऐसी भयानक घटनाओं को छिपाने में काफी चुस्ती दिखाई थी.
मार्को पोलिति की राय में पीड़ितों के संगठनों की तीन स्पष्ट मांगें हैं. वे चाहते हैं कि खासकर 1980 और 90 के दशक के मामलों की स्पष्ट जांच हो, पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक ठोस कार्यक्रम हो और साथ ही, पोप सिर्फ कुछ चुने हुए पीड़ितों से नहीं, बल्कि सभी पीड़ितों के प्रतिनिधियों से मिलें.
पोप के इस वक्तव्य के बावजूद कैथलिक गिरजे के एक हिस्से में यह धारणा बनी हुई है कि गिरजे को जान बूझकर बदनाम करने के लिए यौन दुराचार का मामला उठाया गया है. वे इसे गिरजे के खिलाफ एक षड़यंत्र समझते हैं. इस वर्ष गुड फ्राइडे के अवसर पर पोप के एक प्रतिनिधि ने कहा था कि पोप पर ऐसे मामलों को छिपाने का आरोप सबसे निंदनीय यहूदी विरोध की तरह है.
पोप बेनेडिक्ट शुक्रवार या शनिवार को लंदन में यौन दुराचार के 10 पीड़ितों से मिलने वाले हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: वी कुमार