धमकियों के साए में पाकिस्तान में पोलियो अभियान
१५ फ़रवरी २०१६दुनिया भर में होने वाले पोलियो के मामलों का 70 प्रतिशत पाकिस्तान में होता है. यह वायरस जिंदगी भर के लिए लकवे का कारण बन सकता है. इस बीच सरकारों द्वारा चलाए गए अभियान के कारण इसका पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर पूरी दुनिया में सफाया हो चुका है. कराची में रोटरी इंटरनेशनल के लिए इस अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर अशर अली कहते हैं, "हमने अपने प्रयास बढ़ा दिए हैं. यदि हम सामान्य कार्रवाई करते रहे तो इसका खात्मा कभी नहीं होगा."
पाकिस्तान में पिछले सालों में किए गए प्रयासों के कारण पोलिया के मामले कम हो रहे थे और 2014 के मुकाबले 2015 में पोलियो के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई और सिर्फ 54 मामले दर्ज किए गए. लेकिन उसके बाद इन मामलों में तेजी से वृद्धि हुई. मौजूदा अभियान का लक्ष्य मई तक देश के सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगाना है.
हाल के सालों में पाकिस्तान में पोलियो विरोधी अभियान हेल्थ वर्कर्स पर उग्रपंथियों के हमलों के कारण मुश्किलों में रहा है. इस्लामी कट्टरपंथी उन्हें पश्चिमी देशों का जासूस बताते रहे हैं और यह कहते रहे हैं कि टीके बच्चों के बंध्याकरण के लिए हैं. जनवरी में एक आत्मघाती हमलावर ने क्वेटा में एक पोलियो सेंटर पर हमला कर 15 लोगों की जान ले ली थी.
इस बीच पोलियो विरोधी राष्ट्रीय अभियान के नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में टीकों के महत्व को समझे जाने और सुरक्षा बंदोबस्त के कारण टीका लगाने वाली टीमों पर हमलों में कमी आई है. कम्युनिटी हेल्थ वर्कर जुबैरा बीबी कहती हैं, "जब मैंने काम करना शुरू किया, तो मैं डरी हुई थी, लेकिन अब डर नहीं है. इलाके के लोग अब हमें जानते हैं."
पोलियो अभियान को सबसे बड़ा धक्का तब लगा जब सीआईए ने एक पाकिस्तानी डॉक्टर को टीका अभियान की आड़ में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया. कुछ ही समय बाद एक अमेरिकी सैनिक ऑपरेशन में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया. कुछ पिता अभी भी पोलियो टीका टीमों को अपने दरवाजे पर नहीं आने देते. कराची के निकट सुल्तानाबाद में पोलियो टीम में काम करने वाली रेहाना बीबी कहती हैं कि लोग मना करते हैं, लेकिन हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि बच्चों को पोलियो की बूंद देने से कोई नुकसान नहीं है.
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)