नए ग्रह पर पानी मिलने से उत्साहित वैज्ञानिक
२५ फ़रवरी २०१२अंतरिक्ष के पैमाने को देखते हुए 40 प्रकाश वर्ष की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है. जीजे1214बी एक बहुत ही बड़ा, भाप से ढका ग्रह है जिसका तापमान करीब 232 डिग्री सेल्सियस है. 2009 में इसकी खोज की गई थी लेकिन वैज्ञानिकों को अब जाकर पता चला है कि इस ग्रह में पानी भरा हुआ है. अमेरिका में हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रेफिजिक्स के वैज्ञानिक जैकरी बेर्टा कहते हैं, "जीजे1214बी जैसा ग्रह पहले कभी नहीं देखा गया है. यह ज्यादातर पानी से बना हुआ है."
बेर्टा की टीम ने आराम से ग्रह को नाप तो लिया है और इसके वजन का भी पता लगा लिया है. इसका घनत्व एक घन सेंटिमीटर में दो ग्राम है. पृथ्वी का घनत्व एक क्यूबिक सेंटिमीटर में 5.5 ग्राम है, मतलब कि जीजे1214बी का घनत्व पृथ्वी से कम है और यह पृथ्वी जैसा पथरीला भी नहीं है. लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि नया ग्रह वैज्ञानिकों के लिए भी पूरी तरह नया हो. बेर्टा का कहना है, "ऊंचे तापमान और दबाव की वजह से हॉट आइस या सूपरफ्लूइड पानी बन सकते हैं. यह चीजे हमारी आम जिंदगी से बिल्कुल हट कर हैं." वैज्ञानिक मानते हैं कि जीजे1214बी अपने तारे से दूर कहीं बना था, बर्फ के एक बड़े गोले की तरह लेकिन गुरुत्वाकर्षण की वजह से वह अपने तारे के करीब आने लगा.
हालांकि कई दूसरे वैज्ञानिक ग्रह पर पानी की खोज को लेकर संतुष्ट नहीं हैं. ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक फ्रेडरिक पोंट कहते हैं कि जीजे1214बी में पानी का होने एक अनुमान है. और वैज्ञानिकों ने वहां बादलों का पता लगाकर यह अनुमान लगाया है. डॉयचे वेले को दिए बयान में पोंट ने लिखा कि इस डाटा को सच मानने के लिए वैज्ञानिकों को साबित करना होगा कि जीजे1214बी के वायुमंडल में हाइड्रोजन से भारी तत्व मौजूद हैं. अगर पोंट की बात सच है को ग्रहों को लेकर शोध में भी यह एक बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है. पोंट का कहना है कि अगर इस ग्रह में हाइड्रोजन नहीं है तो फिर इसका बड़ा होना समझना मुश्किल हो जाता है. इससे अब तक ग्रहों के बनने के बारे में जो सिद्धांत हैं, वह खारिज हो जाते हैं.
पोंट के अविश्वास के बावजूद कई वैज्ञानिक इस नई खोज से खुश हैं. खास कर इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में हबल टेलिस्कोप के जरिए इसे देखा जा सका है और हबल नई पीढ़ी के यंत्रों के मुकाबले एक बहुत सरल टेलिस्कोप है. आंदर्स योहानसेन, स्वीडेन में खगोल विद्या के लेक्चरर, मानते हैं कि भविष्य में बड़े ग्रहों पर पानी मिल सकता है. "अब तक यह पता नहीं चल सका है कि इनमें जीवन विकसित हो सकता है या नहीं. आने वाले दिनों में अंतरिक्ष में जीवन पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों के लिए यह अहम सवाल होगा."
रिपोर्टः साइरस फारिवार/एमजी
संपादनः एन रंजन