नक्सली हिंसा छोड़ बातचीत करने आएं: राष्ट्रपति
१५ अगस्त २०१०शनिवार को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने पारंपरिक रूप से राष्ट्र के नाम संदेश दिया. राष्ट्रपति ने चर्चा तो गरीबी, भूख, भ्रष्टाचार और बिखरते सामाजिक रिश्तों की भी की, लेकिन मुख्य रूप से आतंकवाद और नक्सली समस्या ही उनके संदेश में छाए रहे. राष्ट्रपति ने नक्सलियों के बारे में कहा, " अतिवादी विचारधारा और वामपंथी चरमपंथ के रास्ते पर चलने वालों को हिंसा छोड़ देनी चाहिए. मैं उन्हें विकास के लिए चल रही राष्ट्रीय कोशिशों में शामिल होने के लिए आवाज़ देती हूं." राष्ट्रपति ने माना कि नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर विकास की जरूरत है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आम लोग भी इस काम में साथ आएंगे और नक्सलियों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए काम करेंगे.
आतंकवाद को दुनिया की शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के सभी देशों को यह मिलकर तय करना होगा कि आतंकवादियों को कहीं से भी धन या काम करने की छूट ना मिले. राष्ट्रपति ने कहा," दुनिया को यह तय करना होगा कि आतंकवादियों को ना तो ट्रेनिंग के लिए जगह मिले, ना धन, ना बुनियादी सुविधाएं और ना ही उनकी विचारधारा को समर्थन देने वाले लोग."
सरकार को नसीहत देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता इसलिए मिलती है कि देश के विकास के लिए नीतियां बनाई जाएं और फिर उन्हें लागू किया जाए. सरकार को मिली ताकत का पूरी जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल होना चाहिए. राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में कबूल न करने की वकालत की और कहा कि ऐसा करने से सरकारी तंत्र कारगर होगा और विकास के कामों में तेजी आएगी.
राष्ट्रपति ने माना कि पारिवारिक रिश्ते टूट रहे हैं और सामजिक ढांचा बिखर रहा है. कुछ सामाजिक बुराइयां अब भी कायम हैं और लोगों को अपना शिकार बना रही हैं. उन्होने कहा, "आज जब विकास की नई ऊंचाइयां छुई जा रही हैं तो जरूरी है कि हम इन बुराइयों को भी अपने पास न फटकने दें."
राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि विकास का फायदा हर इंसान तक पहुंचे सरकार का यही लक्ष्य होना चाहिए. राष्ट्रपति का कहना है, "जब तक एक भी इंसान भूखे पेट सोया हो, उसके सिर पर छत न हो, और हर बच्चा स्कूल न चला जाए, तब तक सरकार का काम पूरा नहीं होगा. इसके लिए सरकार के एजेंडे में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, और मकानों के निर्माण को प्रमुख जगह देनी होगी." साथ ही राष्ट्रपति ने बुनियादी ढांचे के विकास को भी देश के लिए जरूरी बताया.
तकनीक के विकास को राष्ट्रपति ने देश के विकास से जोड़ा और कहा कि नई तकनीक देश में खेतों की पैदावार और औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने में कारगर है. इसके कारण पूंजी और श्रम संसाधनों को सही इस्तेमाल हो पा रहा है.
सबकी बात हुई लेकिन अगर किसी की चर्चा नहीं हुई तो वह है महंगाई. राष्ट्रपति के पूरे भाषण में महंगाई का कहीं जिक्र तक नहीं हुआ. साफ है कि मौजूदा दौर में देश की इस सबसे बड़ी समस्या पर राष्ट्रपति ने कुछ कहने से क्यों परहेज किया, ये समझ से परे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ए कुमार