नाटो के हमले के बावजूद 'आतंकी प्रसारण' जारी
३० जुलाई २०११नाटो प्रवक्ता कर्नल रॉलैंड लावोइ ने कहा, "कुछ घंटे पहले नाटो ने एक संक्षिप्त हवाई हमले में जमीन पर लगे लीबियाई सरकारी टेलिविजन के तीन ट्रांसमिशन डिशों को नाकाम कर दिया है." नाटो प्रवक्ता के इस संदेश के विडियो नाटो की प्रेस सेवा ने बांटे हैं जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा है,"नाटो ने गद्दाफी के आतंकी नेटवर्क को खामोश कर दिया है." हालांकि लीबियाई टेलिविजन चैनल पर प्रसारण अभी जारी है. उस पर एक राजनीतिक टॉक शो का दोबारा प्रसारण किया जा रहा है.
मिशन के लिए जरूरी
नाटो इस साल के मार्च से ही लीबिया में कर्नल गद्दाफी के ठिकानों पर हमले कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव पारित कर लीबिया के आम लोगों की सुरक्षा करने के नाम पर उसे यह हक दिया है. गद्दाफी अपने 41 साल के शासन के खिलाफ बगावत करने वालों पर हिंसक कार्रवाई करने के आरोपी हैं. नाटो के प्रवक्ता का कहना है कि सेटेलाइट डिशों पर की गई बमबारी उनके मिशन के हित में है, "हमारी दखलंदाजी इसलिए जरूरी हो गई थी क्योंकि टीवी का इस्तेमाल सत्ताधारी ताकतों के साथ एक जरूरी हिस्से के रूप में हो रहा था जो नागरिकों को दबाने, धमकाने और उनके खिलाफ हमले करने में जुटे हैं."
शुक्रवार देर रात तक त्रिपोली धमाकों की आवाज से गूंजता रहा और शुक्रवार की शाम सरकारी टेलिविजन ने खबर दी कि हवाई हमलों में नागरिक ठिकानों को निशाना बना गया है. हालांकि स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. लावोइ ने कहा कि नाटो ने हमलों की योजना इस तरह से बनाई है कि कम से कम नागरिकों की जान पर खतरा हो या टेलिविजन चैनल का ज्यादा बड़ा नुकसान न हो. नाटो प्रवक्ता के मुताबिक हमले के असर का अभी आकलन किया जा रहा है. नाटो के सदस्य देश मांग कर रहे हैं कि गद्दाफी सत्ता छोड़ दें और बागियों को लीबियाई जनता का असली प्रतिनिधि घोषित कर दें. इन सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भी शामिल हैं.
बागियों के सैन्य प्रमुख की हत्या
लीबिया का बागी गुट अपने सैन्य प्रमुख जनल अब्देल फतह यूनिस की हत्या की जांच करने में जुटा है. बागियों के गुट नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल, एनटीसी के आर्थिक मामलों के प्रमुख अली तारहुनी ने कहा है, "एनटीसी ने एक जांच कमेटी नियुक्त की है और हम जांच में पता चले सच को लोगों के सामने रखेंगे." यूनिस पहले लीबियाई कर्नल गद्दाफी के भरोसेमंद सेनानायक माने जाते थे और उन्होंने 1969 के उस तख्तापलट अभियान में भी हिस्सा लिया था जिसके बाद गद्दाफी सत्ता पर काबिज हुए. हालांकि इसी साल फरवरी में वह गद्दाफी का साथ छोड़ कर बागियों के गुट से जा मिले.
तारहुनी ने बताया कि गोलियों से छलनी और कुछ जला हुआ यूनिस का शव शुक्रवार को बेनगाजी के बाहरी इलाके में मिला. हालांकि एनटीसी को उनके मौत की जानकारी गुरुवार को ही उस वक्त मिल गई जब उनकी हत्या करने वाले आतंकी संगठन के प्रमुख ने इस हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. तारहुनी ने बताया, "मिलीशिया के प्रमुख अब कैद में हैं."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हत्या में शामिल कुछ लोग जिरह इब्न अल औबैदी ब्रिगेड से जुड़े हैं और उन्हें अभी कैद नहीं किया गया है. इसके साथ ही हत्या की वजह का भी अभी तक पता नहीं चल सका है. उधर गद्दाफी प्रशासन का कहना है कि यह काम अल कायदा का है. गद्दाफी प्रशासन के प्रवक्ता मूसा इब्राहिम ने त्रिपोली में पत्रकारों से कहा, "इस हरकत के जरिए अल कायदा इलाके में अपनी मौजूदगी और असर दिखाना चाहता है. एनटीसी के दूसरे सदस्यों को इसके बारे में पता हो सकता है लेकिन वे अल कायदा के डर से इस बारे में मुंह नहीं खोलेंगे."
नेतृत्व का संकट
यूनिस और उनके साथ दो अधिकारियों की मौत ने विद्रोहियों की फौज में नेतृत्व का संकट खड़ा कर दिया है, वह भी ठीक उसी दिन जब उन्होंने पश्चिमी नफूला के पर्वतीय इलाकों में बढ़त हासिल की. संयुक्त राष्ट्र ने विद्रोहियों से एक जुट हो कर गद्दाफी को हटाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र ने गद्दाफी की सरकार पर ऐसे हालात पैदा करने का भी आरोप लगाया है जिनमें यूनिस की हत्या हुई.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार