नाटो सेना ने अफगानिस्तान से मांगी माफी
६ सितम्बर २०१७अफगानिस्तान में काबुल के निकट परवान प्रांत में ऐसे पर्चे बांटे गये थे जिनमें कुत्ते की छवि पर तालिबान के बैनर में कुरान की पंक्तियां अरबी भाषा में लिखीं थी. इस पर्चे में एक सफेद कुत्ते की छवि थी जो शेर से भागती नजर आ रही थी.
कुत्ते को इस्लाम में बेहद ही अशुभ माना जाता है और ऐसे किसी जानवर की छवि के साथ कुरान का उल्लेख लोगों में आक्रोश पैदा करने के लिये काफी था. मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुये अमेरिकी कमांडर ने इस पूरी घटना के लिये माफी मांगी है.
अपनी सफाई में अमेरिकी कमांडर मेजर जनरल जेम्स लिडंर ने कहा "पर्चे में बनी छवि मुस्लिमों और इस्लाम दोनों के लिये ही अत्यधिक अपमानजनक है और मैं इसके लिये ईमानदारी से माफी चाहता हूं". उन्होंने कहा "हम मुसलमानों और इस्लाम धर्म के प्रति सम्मान की भावना रखते हैं." लिंडर ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच की जायेगी ताकि इसके कारणों का पता लगाकर जिम्मेदार लोगों को पकड़ा जा सके.
परवान प्रांत के गवर्नर मोहम्मद हासिम ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुये इसे "अक्षम्य" बताया. उन्होंने कहा "जिन लोगों ने भी इस तरह के प्रचार की अपमानजनक गलती की है उन्हें दंडित किया जायेगा."
इस मामले ने अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय बलों के सामने आने वाली चुनौतियों को एक बार फिर उजागर किया है. सुरक्षा बलों में यहां तैनात अधिकतर लोग गैर-मुस्लिम संस्कृति से आते हैं. इनकी कोशिश रहती है कि धार्मिक मामलों को लेकर अति सावधानी बरती जाये ताकि विदेशी विरोधी भावना कम से कम पनपे लेकिन गाहे-बगाहे ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.
लिंडर ने इस घटना पर माफी मांगते हुए जारी पर्चों को एकत्रित करने का भी वादा किया है. साल 2012 में काबुल के निकट बगराम एयर बेस में कुरान और अन्य धार्मिक ग्रंथों की प्रतियों को गलती से जला देने का मामला सामने आया था. इस घटना के चलते काबुल सहित कई प्रांतों में प्रदर्शन हुए थे जिसमें करीब 40 लोग मारे गये थे. इस मामले में भी अमेरिकी कमांडरों ने माफी मांगी थी.
एए/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)