नाटो हमले से नाराज पाकिस्तान हुआ निर्मम
२४ दिसम्बर २०११रिपोर्ट के नतीजे गुरुवार को ही पाकिस्तान को दे दिए गए. रिपोर्ट में लिखा है कि नाटो और पाकिस्तान, दोनों की गलतियों की वजह से पाक-अफगान सीमा पर हुई गोलीबारी में पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई. पाकिस्तान ने यह मानने से इनकार किया है कि उसके सैनिकों से इस हादसे में किसी तरह की गलती हुई है. पाकिस्तान ने इस वजह से जांच में भी हिस्सा लेने से मना कर दिया है. उसका कहना है कि नाटो सैनिकों ने जान बूझकर उसके सैनिकों पर निशाना साधा. वारदात से नाराज पाकिस्तान ने अमेरिका से शम्सी में अपने हवाई अड्डे को खाली करवा दिया है.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना के अमेरिकी सैनिकों पर पहले गोलीबारी वाली बात से मना किया है. एक समाचार एजेंसी को इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने तभी वार किया जब नाटो के हैलिकॉप्टरों ने उन पर गोलियां बरसानी शुरू की.
अमेरिका की इस मामले में कठोरता को लेकर अब्बास ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अमेरिका अब तक मारे गए सैनिकों के लिए माफी नहीं मांग रहा है. हालांकि अमेरिका ने उनके परिवारों को मुआवजा देने की बात की है. अब्बास ने कहा, "हमें मुआवजे में कोई दिलचस्पी नहीं है. हमारी सैन्य संस्कृति में एक शहीद सैनिक के लिए मुआवजा नहीं लिया जाता. हम खुद अपना ख्याल रख सकते हैं."
गुरुवार को अमेरिकी अधिकारियों ने हादसे को लेकर अपनी गलती कुछ हद तक मान ली और अपना खेद भी जताया. लेकिन उनके मुताबिक उनके सैनिक अपनी सुरक्षा कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगा कि तालिबान हमलावर उन पर वार कर रहे हैं. वहीं, अब्बास के मुताबिक पाकिस्तान ने नाटो को दोनों सीमा शिविरों के नक्शे दिए थे. इनका नाम वोल्केनो और बोल्डर था. अब्बास ने नाटो और अफगान सैनिकों पर आरोप लगाया है कि दोनों ने सैन्य कार्रवाई के लिए तय किए गए मानकों को बिलकुल अनदेखा किया और पाकिस्तान को नहीं बताया कि नाटो सैनिक नवंबर 25 और 26 की रात को सीमा पर कार्रवाई केरंगे. इसी कार्रवाई में सैनिकों की मौत हुई.
वहीं, अमेरिकी जनरल स्टीफन क्लार्क ने माना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को इस कार्रवाई के सिलसिले में कोई खबर नहीं दी है. लेकिन अमेरिकी और नाटो के कमांडर सोचते हैं कि कई बार जब उन्होंने पाकिस्तानी सेना को अपने हमलों के बारे में बताया है, तो उनकी कार्रवाइयों में परेशानी आई है.
अब्बास ने अब साफ कर दिया है कि अमेरिका और नाटो सेना उनके देश, सड़कों और बंदरगाहों को अपनी मर्जी और अपने काम के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. नाटो अफगानिस्तान में अपनी सेना के लिए आपूर्ति पाकिस्तान के रास्ते भेजता है लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों के लगातार बिगड़ने को देखते हुए, इस सहयोग को खत्म होने में देर नहीं लगेगी.
इस साल जनवरी में एक अमेरिकी जासूस ने दो पाकिस्तानी नागरिकों को जान से मार दिया जिसके बाद दोनों देशों में मतभेद पैदा हुए. मई में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान के एबटाबाद में पकड़ा गया और अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान को बिना बताए बिन लादेन को मार दिया. पाकिस्तानियों का मानना है कि इससे उनके देश की स्वायत्तता पर असर पड़ा है. अब्बास ने अपने देश के नागरिकों की सोच को दर्शाते हुए कहा है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान का सहयोग अब बहुत ही "औपचारिक और सख्त होंगे और सहयोग की सीमाओं की परिभाषा भी तय की जाएगी."
रिपोर्टः एपी, डीपीए/एमजी
संपादनः एन रंजन