नेपाल के मंत्रियों की एवरेस्ट पर बैठक
४ दिसम्बर २००९कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पहले ऑक्सीजन मास्क पहने नेपाली मंत्रिमंडल के सदस्य माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर मिले. नेपाल के प्रधानमंत्री सहित कई मंत्री हेलिकॉप्टर पर सवार होकर बेस कैंप पहुंचे, जो समुद्र तल से लगभग 5242 मीटर ऊंचा है. बेस कैंप ही वह जगह है, जहां से पर्वतारोही दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ना शुरू करते हैं.
नेपाल की कैबिनेट ने यहां अपनी बैठक में "एवरेस्ट घोषणापत्र" पारित किया, जिसे कोपेनहेगन में पेश किया जाएगा. नेपाली प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने बताया, "एवरेस्ट घोषणापत्र में कहा गया है कि एवरेस्ट और हिमालय पर्वतश्रेणी के दूसरे पर्वतों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाया जाए." कैबिनेट बैठक में नेपाल की संरक्षित भूमि को भी बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया. अभी यह 26 प्रतिशत है, जिसे बढ़ा कर 40 फ़ीसदी करने का प्रस्ताव पास हुआ.
ख़ून जमा देने वाली ठंड और कड़ाके की सर्दी के बीच नेपाल के मंत्रिमंडल सदस्य कालापाथर के छोटे से घास वाली भूमि पर मिले. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों के लिए भी यह एक जानी मानी जगह है.
पर्यावरणविदों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय पर भी संकट बढ़ता जा रहा है. नेपाल दुनिया में मात्र 0.025 प्रतिशत ग्रीन गैस का उत्सर्जन करता है लेकिन इससे यह बुरी तरह प्रभावित होता दिख रहा है. हिमालय पर्वतश्रेणी में दुनिया के सबसे ऊंचे 14 पर्वत शामिल हैं. जानकारों का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन पर क़ाबू नहीं पाया गया तो हिमालय के दस ग्लेशियर सूख जाएंगे. एशिया की दस बड़ी नदियां इन्हीं ग्लेशियरों से निकलती हैं.
नेपाल के पर्यावरण मंत्री ठाकुर प्रसाद वर्मा ने कहा, "हिमालय गर्म हो रहा है और हमें इसकी तपिश महसूस हो रही है. ऐसा विकसित देशों की वजह से हो रहा है. हमने यह बैठक इसलिए की कि हम बताना चाहते हैं कि हमारा कोई क़सूर नहीं है, फिर भी हमें सज़ा मिल रही है."
अगले हफ़्ते डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन हो रहा है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित कई लोग पहुंचने वाले हैं. नेपाल के प्रतिनिधिमंडल में कई जाने माने पर्वतारोही शामिल होंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एम गोपालकृष्णन