नोबेल शांति पुरस्कार महिला अधिकारों के लिए
७ अक्टूबर २०११पुरस्कार की घोषणा करते हुए शुक्रवार को नॉर्वे की नोबेल समिति ने कहा है कि उन्हें महिलाओं की सुरक्षा और शांति स्थापना में पूरी भागीदारी के महिला अधिकारों के लिए उनके अहिंसक संघर्ष के लिए सम्मानित किया जा रहा है.
यमनी जनता के लिए
तीन बच्चों की मां और मानवाधिकार संगठन विमेन जर्नलिस्ट विदाउट चेन्स की प्रमुख करमन ने कहा, "मैं पुरस्कार पा कर बहुत खुश हूं." 32 वर्षीया करमन अरब दुनिया में निरंकुश शासकों के खिलाफ विद्रोह की लहर शुरु होने के बाद राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के खिलाफ रैलियों का आयोजन करने वाली प्रमुख हस्तियों में रही हैं. करमन ने कहा, "मैं यह पुरस्कार यमनी क्रांति के युवाओं और यमनी जनता को समर्पित करती हूं."
हार्वर्ड में प्रशिक्षित अर्थशास्त्री 72 साल की जॉनसन सरलीफ 2005 में अफ्रीका में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित होने वाली पहली महिला राष्ट्रपति थीं. वह लाइबेरिया में इसी महीने होने वाले चुनाव में फिर से उम्मीदवार हैं. पद ग्रहण करने के बाद उन्हें सुधारक और लाइबेरिया में शांति लाने वाला समझा गया. लेकिन हाल में उनके विरोधियों ने उन पर वोट खरीदने और अपने चुनाव अभियान के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उनके सहयोगियों ने इन आरोपों का खंडन किया है.
शांति बचाने की कोशिश
लाइबेरिया 2003 तक सालों से चल रहे गृहयुद्ध का शिकार था. वह अभी भी संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की मदद से कमजोर शांति को बचाने की कोशिश कर रहा है. शांति कार्यकर्ता लेमा बोवी ने लाइबेरिया के वारलॉर्ड्स को चुनौती देने के लिए ईसाई और मुस्लिम महिलाओं का एक संगठन बनाया. 2009 में उन्हें लाइबेरिया की महिलाओं का हिम्मत बढ़ाने के लिए साहस पुरस्कार में शामिल किया गया. यह पुरस्कार जॉन एफ कैनेडी की पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाली किताब के सम्मान में शुरू किया गया है.
तवाकुल करमन के पिता राष्ट्रपति सालेह की सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं. वह पत्रकार हैं और इस्लामिक इस्लाह पार्टी की सदस्य हैं. पुरस्कार समिति ने पुरस्कारों की घोषणा करते हुए कहा है, "हम तब तक विश्व में लोकतंत्र और स्थायी शांति हासिल नहीं कर सकते, जब तक महिलाओं को पुरुषों की तरह समाज के सभी स्तरों पर विकास को प्रभावित करने की समान संभावना न मिले."
रिपोर्ट: एपी/महेश झा
संपादन: वी कुमार