पटियाला हाउस का सफर मुश्किल
१५ फ़रवरी २०११अक्षय कुमार की फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त ओपनिंग मिलती है. फिल्म रिलीज होने के बाद पहले तीन दिन अक्षय अपने दम पर दर्शकों को सिनेमा हॉल में खींच लाते हैं और अगर फिल्म अच्छी हो तो उसका आगे का सफर भी बढ़िया होता है. अक्षय कुमार की स्टार वैल्यू सबसे ज्यादा है और यही कारण है कि पिछले साल लगातार फ्लॉप देने के बाद भी वे अपनी प्राइस कम नहीं कर रहे हैं.
इस हफ्ते अक्षय की पटियाला हाउस रिलीज हुई है. बात फिर वही है कि अक्षय ने बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा दिखाया है और फिल्म को बंपर ओपनिंग मिली है लेकिन आगे इसका क्या होगा, यह फिल्म की गुणवत्ता पर निर्भर है.
फिल्म के डायरेक्टर निखिल आडवाणी और अक्षय इससे पहले चांदनी चौक टू चायना में साथ काम कर चुके हैं.
पटियाला हाउस में अक्षय कुमार ने साउथहॉल के एक क्रिकेटर गट्टू की भूमिका निभाई है. उसका परिवार मूल रूप से पंजाब का है, लेकिन वह चार पीढ़ियों से लंदन के साउथहॉल में रह रहा है.
फिल्म में पिता-पुत्र के रिश्तों को दिखाया गया है, जिसमें एक तरफ है गट्टू के बाबूजी की इंग्लिश कल्चर से नफरत तो दूसरी तरफ है गट्टू का क्रिकेट खेलने का सपना. लेकिन बात कुछ जमी नहीं. कहानी को इस तरह पेश किया गया है कि फिल्मकारों को पहले ही पता था कि दर्शक दिमाग घर छोड़कर फिल्म देखने आएंगे. कहानी में उतार-चढ़ाव है लेकिन वे वास्तविकता से बहुत दूर हैं. कॉमेडी के नाम पर कोई भी ऊटपटांग बात हजम नहीं की जा सकती. स्क्रीन प्ले भी दमदार नहीं लिखा गया है. डायलॉग में नयापन नहीं है.
फिल्म में अक्षय का अभिनय उम्दा है, लेकिन खिलाड़ी कुमार को अगर वाकई खिलाड़ी बनना था तो रोल के लिए थोड़ा पसीना भी बहाते. अनुष्का शर्मा ने पंजाबी माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. ऋषि कपूर का किरदार लाउड और तर्कहीन है, लिहाजा उन्हें पर्दे पर देखने में रुचि पैदा नहीं होती. डिम्पल कपाड़िया की भूमिका कहानी में फिट नहीं होती.
फिल्म का संगीत पंजाबी माहौल के मुताबिक है. कमजोर कहानी के बावजूद निखिल आडवाणी ने कुछ सीन अच्छे फिल्माए हैं, लेकिन उनके निर्देशन में निरंतरता का आभाव है.
क्रिकेट पर आधारित फिल्म में वास्तविकता लाने की कोशिश करते हुए नासिर, हुसैन, ग्राहम गूच, हर्शल गिब्स, एंड्रयू साइमंड्स, साइमन कैटिच, पोलार्ड, कामरान अकमल जैसे क्रिकेटरों को इसमें लिया गया है, लेकिन इससे फिल्म का आकर्षण नहीं बढ़ता.
रिपोर्टः शराफत खान
संपादनः ए जमाल