पत्रकारों के लिए मौत का साल
३० दिसम्बर २०१३सीरिया में मारे गए पत्रकारों में ज्यादातर वहां के क्षेत्रीय पत्रकार हैं जो अपने शहरों के हालात दुनिया भर के मीडिया संस्थानों तक पहुंचा रहे थे. इसके अलावा कुछ विदेशी पत्रकार भी सीरिया में मारे गए जिनमें एक बंदूकधारी की गोली का निशाना बने अल जजीरा के रिपोर्टर मुहम्मद अल मेसलमा का नाम भी शामिल है.
छह पत्रकार मिस्र में संघर्ष के दौरान मारे गए. इनमें से आधे 14 अगस्त को मुर्सी के समर्थकों पर सुरक्षा कर्मचारियों की कार्यवाही के दौरान रिपोर्टिंग करते हुए मारे गए.
पत्रकार संगठन के उपनिदेशक रॉबर्ट मेहोनी ने एक बयान में कहा, "मध्यपूर्व पत्रकारों के लिए मौत का गढ़ बनता जा रहा है. कुछ इलाकों में रिपोर्टिंग के दौरान मरने वाले पत्रकारों की संख्या में कमी आई है. लेकिन सीरिया के गृह युद्ध और इराक में दोबारा पनपे सांप्रदायिक हमलों की वजह से स्थिति खेदजनक है." उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की है कि वह सभी सरकारों और सेनाओं पर दबाव डाले कि वे पत्रकारों की असैनिक हैसियत का सम्मान करें और उनके हत्यारों पर मुकदमा चलाएं.
संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 में जहां काम के दौरान मरने वाले पत्रकारों की संख्या 74 थी वहीं 2013 में इस संख्या में कमी आई है. लेकिन 2013 की सूची में 25 अन्य पत्रकारों की मौत को फिलहाल शामिल नहीं किया गया है. संस्था इस बात का पता लगा रही है कि क्या इनकी मौत इनके काम की वजह से हुई.
संघर्ष वाले इलाकों में मारे गए पत्रकारों के अलावा कई देशों में संवेदनशील मामलों की छानबीन कर रहे पत्रकारों की हत्या के मामले भी सामने आए. ब्राजील, कंबोडिया, फिलीपींस, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और रूस में पुलिस के खराब बर्ताव, राजनीतिक भ्रष्टाचार और नशे की तस्करी जैसी कई अन्य घटनाओं में पत्रकारों ने जानें गंवाईं.
माली के किडाल इलाके में तुआरेग अलगाववादियों के नेता से मुलाकात के बाद रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल के दो पत्रकारों की हत्या कर दी गई. लगभग दस सालों में पहली बार मेक्सिको में किसी पत्रकार को अपने काम के लिए जान नहीं गंवानी पड़ी.
न्यूयॉर्क की संस्था कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट 1992 से हर साल मरने वाले पत्रकारों और प्रसारकों की मौत का ब्यौरा जमा करने का काम कर रही है. ज्यादातर मामलों में मरने वाले पत्रकारों में उनकी संख्या ज्यादा पाई गई जो वहीं रिपोर्टिंग कर रहे हैं जहां वे खुद रहते हैं. 2013 में भी ऐसे ही परिणाम सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार अब तक सीरिया में जारी हिंसा की रिपोर्टिंग कर रहे 63 पत्रकार जान गंवा चुके हैं. तीस ऐसे भी हैं जिनकी कोई खबर नहीं.
एसएफ/एमजे (एपी, डीपीए)