परमाणु ऊर्जा पर ईयू भारत के बीच संधि
६ नवम्बर २००९यूरोपीय संघ के नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर परियोजना में भारत की सहभागिता पर एक समझौते पर भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोदकर और यूरोपीय संघ की विदेशी मामलों की प्रभारी बेनीटा फेरेरो वाल्डनर ने हस्ताक्षर किये. बताया जाता है कि 10 अरब यूरो के साथ यह परियोजना अब तक की सबसे महंगी परियोजना है जिसमें 2016 तक फ्रांस के कदाश में दुनिया का पहले फ्यूजन रिएक्टर बनाया जाएगा.
कई मुद्दों पर चर्चा
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और इस समय यूरोपीय संघ के अध्यक्ष की हैसियत से स्वीडन के प्रधानमंत्री फ्रेडरिक रेनफेल्ड सहित यूरोपीय आयोग के प्रमुख होसे मानुएल बारोसो के बीच नई दिल्ली में 10 वां भारत यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन हुआ. मनमोहन सिंह ने बताया कि दोनों के बीत द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों के अलावा आर्थिक संकट, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण, व्यापार और आतंकवाद पर विस्तार से चर्चा हुई.
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहमति हुई है कि भारत और आपराधिक मामलों की यूरोपीय एजैंसी यूरोपोल के बीच सहयोग पर वार्ताएं आगे बढ़ाई जाएंगी. मनमोहन सिंह ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थिरता और शांति प्रयासों की यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशों की सराहना की और कहा कि दोनों देशों में जो कुछ भी हो रहा है, भारत पर उसका सीधा असर पड़ता है. व्यापार के मुद्दे पर मनमोहन सिंह ने उम्मीद ज़ाहिर की है कि अगले साल तक दोनों पक्षों के बीच विस्तृत व्यापार और निवेश समझौता हो जाएगा जिस पर 2007 में वार्ताएं शुरू हुई थीं.
भारत का वादा नहीं
नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत और यूरोपीय संघ के एक दिवसीय शिखर सम्मेलन में पर्यावरण के मुद्दे पर खास तौर पर बात हुई लेकिन दिसंबर में कोपनहेगन सम्मेलन से पहले यूरोपीय संघ, उत्सर्जन कटौती पर भारत से कोई भी वादा लेने में सफल नहीं हो पाया है. कोपनहेगन में होने वाले पर्यावरण सम्मेलन से पहले यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष होसे मानुएल बारोसो ने उम्मीद जताई कि भारत समझौते को पूरा करने में अपना योगदान देगा हालांकि यूरोपीय संघ को अपनी ज़िम्मेदारी का भी अहसास है. लेकिन मनमोहन सिंह ने कहा कि हालांकि भारत ने अपनी तरफ से राष्ट्रीय ऐक्शन प्लैन के अंतर्गत कई लक्ष्य निर्धारित किये हैं लेकिन वह अभी उत्सर्जन की कटौती को लेकर ठोस लक्ष्यों पर हस्ताक्षर करने के स्तर पर नहीं पहुंचा है. स्वीडन के प्रधानमंत्री फ्रेडरिक रेनफेल्ड का मानना था कि गैसों के उत्सर्जन के लिए 2020 तक 100 अरब यूरो के खर्च का अनुमान लगाया गया है और यह ज़रूरी है कि भारत अपना योगदान दे.पर्यावरण के मुद्दे पर भारत का पक्ष रहा है कि इसके लिए विकसित देशों को ज्यादा योगदान देना होगा क्योंकि वे ही पर्यावरण में सबसे अधिक मात्रा में ज़हरीली गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं.
रिपोर्टः सुनंदा राव, नई दिल्ली
संपादनः आभा मोंढे