परमाणु कार्यक्रम पर उत्तर कोरिया के फैसले का स्वागत
१ मार्च २०१२चीन अपनी सीमा पर स्थिरता चाहता है और कोरियाई उपमहाद्वीप पर शांति के इस प्रयास से देश के नेता काफी खुश हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने कहा, "छह गुटीय वार्ताओं के सिलसिले में चीन सारे साझेदारों के साथ काम करने को तैयार है और हम कोरियाई उपमहाद्वीप में स्थिरता और लंबे समय तक शांति के लिए एक सकारात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं."
बुधवार को उत्तर कोरिया ने एलान किया कि वह यूरेनियम संवर्धन को निलंबित करने के साथ साथ लंबी दूरी के मिसाइलों के परीक्षण को भी रोक रहा है. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने बुधवार को वादा किया कि संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षकों को इस समझौते की तहकीकात करने की इजाजत दी जाएगी. पिछले हफ्ते बीजिंग में अमेरिका और उत्तर कोरिया के प्रतिनिधियों के बीच इस सिलसिले में बातचीत हुई थी जिसमें छह देशों की साझा बातचीत और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने पर सौदेबाजी हुई. बदले में उत्तर कोरिया को राजनयिक और आर्थिक मदद दी जाएगी.
उत्तर कोरिया के रवैये को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस फैसले को एक बड़ी सफलता मान रहा है. रूस ने भी उत्तर कोरिया के इस कदम का स्वागत किया है. उसने खासतौर पर अमेरिका की ओर से उत्तर कोरिया की मदद को सराहा है. विश्लेषकों का कहना है कि इस सफलता में चीन का भी बहुत बड़ा हाथ है, हालांकि इससे पहले रूस की मध्यस्थता पर भी जोर दिया जा रहा था. पिछले साल अगस्त में रूस और उत्तर कोरिया के नेताओं ने गैस पाइपलाइन बनाने का फैसला लिया गया लेकिन इसके बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम पर अड़ा रहा.
वहीं, हांग कांग के लिंगनान विश्वविद्यालय के ब्रायन ब्रिजेस का मानना है कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकना चीन सरकार की प्राथमिकता थी. "मेरे ख्याल से चीन के लिए परमाणु कार्यक्रम को निलंबित करने का फैसला छह देशों की बातचीत के शुरू होने से कहीं ज्यादा जरूरी था." ब्रिजेस का अनुमान है कि चीन इस सिलसिले में उत्तर कोरिया पर भी दबाव डाल रहा था. चीन अब और मिसाइल परीक्षण नहीं देखना चाहता, उसे कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थिरता चाहिए. खासकर इस बात को देखते हुए कि चीन में 10 साल बाद नेतृत्व में परिवर्तन होने जा रहा है और राष्ट्रपति हू चिंताओ तथा प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ अपने पद छोड़ देंगे. हालांकि विश्लेषक यह मानते हैं कि उत्तर कोरिया की तरफ से यह एक बहुत बड़ा और हिम्मत वाला फैसला है.
2009 में उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम पर छह देशों की वार्ता से बाहर हो गया था. उसका कहना था कि अमेरिका उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बहुत ही आक्रमक था. तब से लेकर अब तक अमेरिका उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, चीन, रूस और जापान के साथ छह पक्षों की वार्ता को दोबारा शुरू करने के प्रयास कर रहा था.
रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/एमजी
संपादनः महेश झा