परमाणु जवाबदेही विधेयक लोकसभा में पारित
२५ अगस्त २०१०हादसे की स्थिति में कंपनियों की जवाबदेही तय करने संबंधी प्रावधानों पर विपक्ष के कड़े विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे कुछ संशोधनों के साथ पेश संसद में पेश किया था. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने लोकसभा में इस कानून का मसौदा सदन के पटल पर रखा. चव्हाण ने कहा कि सरकार सर्वानुमित से यह कानून पारित कराना चाहती है. सरकार ने इसे अबाध रूप से पारित कराने के लिए इसके विवादित अंशों को हटा लिया था.
विपक्षी दल भाजपा और वामदलों ने हादसे की स्थिति में कंपिनयों की जवाबदेही को उनकी "मंशा" से जोड़ने वाले प्रावधान को हटाने से संतुष्ट होकर इसे अपनी मंजूरी दे दी.
इससे पहले मंत्रिमंडल ने विधेयक के संशोधन से जुड़े 18 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी. इसमें विरोध के सर्वाधिक निशाने पर रहा वह प्रावधान भी शामिल है जिसमें कहा गया है कि किसी परमाणु रिएक्टर ऑपरेटर से क्षतिपूर्ति का दावा तभी किया सकता है जब हादसे को जानबूझकर अंजाम दिया गया हो. विपक्ष के विरोध को देखते हुए सरकार प्रस्तावित विधेयक में जवाबदेही तय करने वाली धारा 17 से "मंशा" शब्द हटाने को तैयार हो गई है.
नये प्रावधानों के मुताबिक हादसे की जिम्मेदारी के दायरे में परमाणु रिएक्टर का संचालन करने वाली कंपनी और इसके लिए तकनीकी सहित मशीनों की सप्लाई करने वालों को भी शामिल कर लिया गया है. मंशा शब्द के हटने से विधेयक का स्वरूप अब भाजपा की मर्जी के मुताबिक हो गया है.
रिपोर्टः पीटीआई/निर्मल
संपादनः महेश झा