परमाणु हथियारों के खिलाफ खड़ा एक नन्हा सा देश
दशकों तक अमेरिका के नियंत्रण में रहा मार्शल आइलैंड्स एक छोटा सा देश है. लेकिन इसका इतिहास, भूगोल और नीति कई लोगों को अपनी तरफ खींचती है.
नन्हा सा देश
मार्शल आइलैंड्स दक्षिणी प्रशांत महासागर में बसा एक छोटा सा देश है. ये एक हजार से भी ज्यादा बेहद छोटे-छोटे द्वीपों को मिलाकर बना है.
आबादी और आकार
मार्शल आइलैंड की आबादी 72 हजार के आसपास है. आकार की बात करें तो ये भारत की राजधानी दिल्ली के आठवें हिस्से के बराबर है. इसका कुल आकार 181 वर्ग किलोमीटर है.
दशकों तक रहा अमेरिका
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहां दशकों तक अमेरिका का नियंत्रण रहा. लेकिन 1986 में हुए समझौते के बाद अब मार्शल आइलैंड एक संप्रभु देश है.
अमेरिकी मदद
अब भी मार्शल आइलैंड्स की सुरक्षा अमेरिका की ही जिम्मेदारी है और वो हर साल मदद के तौर पर लाखों डॉलर की मदद यहां भेजता है.
परमाणु परीक्षण
अमेरिका ने मार्शल आइलैंड के बिकिनी और एनेवेटक में 1946 और 1958 के बीच कई परमाणु परीक्षण किए थे. इसलिए वहां परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर भावनाएं तीव्र हैं.
यूएन अदालत में मुकदमा
मार्शल आइलैंड्स ने परमाणु हथियारों को फैलाव को रोकने के लिए दुनिया की नौ परमाणु शक्तियों के खिलाफ मुकदमा भी किया, हालांकि वो टिक नहीं पाया.
जलवायु परिवर्तन से खतरा
चारों तरफ से पानी से घिरे मार्शल आइलैड्स जैसे देश जलवायु परिवर्तन की सीधी मार झेल रहे हैं. इसके बहुत से ऐसे द्वीप है जो समुद्र तल से कुछ ही मीटर ऊपर बचे हैं.