1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पश्चिमी अफ्रीका से काले गैंडे लुप्त

११ नवम्बर २०११

पश्चिमी अफ्रीका से काले गैंडे पूरी तरह लुप्त हो गए हैं. वहां गैंडों की दो अन्य प्रजातियां भी लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं. सींगों के लिए लगातार हो रहा है शिकार.

https://p.dw.com/p/138qD
rhino; nashorn; rhinozerus; horn; afrika; safari; kenia; kenya; kenja; nakuru; einsam; freigestellt; gehen; gehend; fressen; grasen; wüste; trocken; trockenheit; futtersuche; nahrungssuche; hitze; heiss; dick; silhuette
कम होती काले गैंडों की संख्यातस्वीर: Fotolia/tarei

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की टीम ने कई महीनों तक पश्चिमी अफ्रीका की खाक छानी और उन्हें एक भी काला गैंडा नहीं मिला. रिसर्च के आधार पर संस्था ने दावा किया है कि पश्चिमी अफ्रीका में अब कोई भी काला गैंडा नहीं बचा है. सभी लुप्त हो चुके हैं.

मध्य अफ्रीका के सफेद गैंडे भी खात्मे की कगार पर हैं. अफ्रीका के अलावा विएतनाम में जावन गैंडे भी करीबन लुप्त हो चुके हैं. संस्था का कहना है, "गैंडों के पनाहगाहों को बचाने के लिए जरूरी राजनैतिक समर्थन और इच्छाशक्ति की कमी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े आपराधिक संगठन गैरकानूनी मांग और सींगों के लिए गैंडो का शिकार कर रहे हैं. पैसे के लिए हो रहा शिकार गैंडों के सामने सबसे बड़ा खतरा है."

यह तस्वीर सिर्फ गैंडों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे पारिस्थिकीय तंत्र के लिए खराब है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के मुताबिक एक चौथाई स्तनधारी जानवर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. विज्ञान और संरक्षण की बदौलत कुछ ही प्रजातियों को किसी तरह बचाया जा रहा है.

RHINO HORNS collected by Natal Parks Board in veld from natural deaths South Africa
सींगों के मारेतस्वीर: picture-alliance / © Balance/Pho

इसका अच्छा उदाहरण दक्षिण अफ्रीका के सफेद गैंडे हैं. 19वीं सदी के अंत तक सिर्फ 100 गैंडे बचे थे लेकिन सरंक्षण की कोशिशों के चलते अब इनकी संख्या 20,000 पहुंच गई है. मध्य एशिया के लुप्तप्राय जंगली घोड़ों को भी संरक्षण की बदौलत वापस बसाया जा सका.

लेकिन अब भी जीव जंतुओं और पौधों की 62,000 प्रजातियां खतरे की लाल सूची में हैं. आशंका है कि अगर जल्द संरक्षण की कोशिशें नहीं की गईं तो सात अरब इंसानों की दुनिया को कई जीव और पौधे हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे.

रिपोर्ट: एपी/ओ सिंह

संपादन: आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी