पहली बार छह भ्रूणों से पैदा हुए बंदर
८ जनवरी २०१२वैज्ञानिकों ने शुरुआती चरण में ही एक बंदरिया में मिश्रित भ्रूण कोशिकाएं डाल दीं. इस चरण को टोटीपोटेंट कहा जाता है. टोटीपोटेंट के दौरान भ्रूण की कोशिशकाएं एक शरीर के रूप में भी विकसित हो सकती है और अन्य जीवित ऊतकों में भी बदल सकती हैं. इस तरह तीन स्वस्थ बंदर के बच्चे पैदा हुए. इन नर बंदरों के नाम रोकु, हेक्स और काइमेरो रखे गए हैं.
प्रयोग में शामिल करने वाले शुखरात मितालिपोव कहते हैं, "कोशिशकाएं निष्क्रिय नहीं होती है. वह साथ में रहती हैं और ऊतक बनाने या अंग बनाने के काम में लग जाती हैं."
चूहों पर इस तरह के प्रयोग पहले हो चुके हैं. 'नॉक आउट' नाम के चूहों को वैज्ञानिकों ने इसी तरह भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए बनाया. मितालिपोव कहते हैं, "हम हर चीज के लिए चूहों को आधार नहीं बना सकते हैं. अगर हम स्टेम सेल थेरेपी को प्रयोगशाला से निकाल कर क्लीनिकों तक ले जाना चाहते है, चूहे से इंसानों तक ले जाना चाहते हैं तो हमें यह समझना होगा कि वानरों की कोशिशकाएं क्या कर सकती है और क्या नहीं."
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि कोशिकाओं का यह व्यवहार भविष्य में मोटापे, दिल की बीमारी, मधुमेह और पार्किंसन्स जैसी बीमारियों से लड़ने के काम आएगा.
रिपोर्ट: एपी/ओ सिंह
संपादन: एम गोपालकृष्णन