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पाकिस्तान ने कहा, पीछे नहीं हट रहे

४ नवम्बर २०११

दो दिनों तक मामले पर अटकलों के बाद पाकिस्तान ने कहा है कि वह भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले व्यापारिक सहयोगी का दर्ज देने पर पीछे नहीं हट रहा है. कैबिनेट ने इस मुद्दे पर आगे बढ़ने को मंजूरी दे दी है.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तहमीना जंजुआ ने एक भारतीय अधिकारी के बयान के बाद कहा, "पाकिस्तान पीछे नहीं हट रहा है. पाकिस्तान ने साफ तौर पर कहा है कि हमारी कैबिनेट ने एमएफएन दर्जे पर सैद्धांतिक रूप से आगे बढ़ने को मंजूरी दे दी है." एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा था कि पाकिस्तान एमएफएन के दर्जे का विरोध करने वाले घरेलू कारोबारी हितों के सामने झुक रहा है.

पाकिस्तान द्वारा भारत को सर्वाधित वरीयता प्राप्त देश का दर्जा दिए जाने से दोनों परमाणु प्रतिद्वंद्वियों के बीच व्यापारिक संबंधों के सामान्य होने में मदद मिलेगी और भारत से सामानों के आयात पर लगे प्रतिबंध समाप्त हो जाएंगे. भारत ने पाकिस्तान को 1996 से ही यह दर्जा दिया हुआ है.

भारत सरकार के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने रॉयटर्स को नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के व्यापारिक और राजनीतिक गुटों ने दबाव डालकर इस फैसले को रुकवा रखा है और भारत इंतजार करने को मजबूर है कि यह प्रक्रिया कब शुरू होगी. सूत्र ने कहा, "बिना शर्त सर्वाधिक वरीयता का दर्जा देने की आरंभिक घोषणा के बाद स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का पीछे हटना इस बात को दिखता है."

Der indische Premierminister Manmohan Singh
तस्वीर: UNI

भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार लंबे समय से राजनीतिक मुद्दों का गुलाम रहा है. 1947 में अंग्रेजों से आजादी पाने के बाद से दोनों पड़ोसी तीन लड़ाई लड़ चुके हैं. बुधवार को व्यापारिक दर्जे पर पाकिस्तानी सूचना मंत्री की घोषणा को दोनों ही देशों में 2008 में पाकिस्तान स्थित उग्रपंथियों द्वारा मुंबई पर हमले के बाद से बिगड़े संबंधों में मील का पत्थर बताया गया था. मुंबई हमले में 167 लोग मारे गए थे. दोनों देशों के बीच स्थायी शांति को दक्षिण एशिया में स्थिरता और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद अशांत अफगानिस्तान में बदलाव की कुंजी समझा जाता है.

भारत और पाकिस्तान में कुल मिलाकर 1.4 अरब लोग रहते हैं लेकिन आपसी अविश्वास के कारण उनमें बहुत कम कारोबार होता है. उम्मीद यह की जाती है कि व्यापार बढ़ने से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और उन्हें कश्मीर जैसे मुख्य विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी. दशकों से इस मुद्दे का समाधान पहुंच के बाहर लग रहा है.

दोनों पक्षों ने व्यापारिक वीजा पर प्रतिबंधों को उदार बनाने, गैर-शुल्कीय बाधाओं को कम करने और सीमा पर व्यापार बढ़ाने का आश्वासन दिया है. इस समय निर्यातकों को अपना सामान दुबई जैसे तीसरे देशों से होकर भेजना पड़ता है. इसकी वजह से सामान भेजने में ज्यादा समय लगता है और उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. भारत के निर्यात का सिर्फ एक प्रतिशत पाकिस्तान को जाता है. सितंबर में व्यापार मंत्रियों की बैठक के बाद दोनों देशों ने तीन साल के अंदर पारस्परिक व्यापार को दुगुना बढ़ाकर 6 अरब डॉलर करना तय किया है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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