पाकिस्तान भी फिल्मी विवाद की चपेट में
२१ सितम्बर २०१२सरकार की सूझबूझ और समय से हरकत में आने की वजह से देश के ज्यादातर इलाकों में शांति बनी रही. पाकिस्तान के इस्लामाबाद, कराची, पेशावर, लाहौर और मुल्तान में शुक्रवार को दसियों हजार लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे. कराची में विरोध कर रहे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और फिर उसके बाद पुलिस से हुई झड़प में तीन पुलिसकर्मी और दो प्रदर्शनकारी मारे गए. इन झड़पों में 112 लोग घायल भी हो गए.
सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री के प्रवक्ता एबी मेमन ने बताया कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने 20 गाड़ियां, तीन बैंक और पांच सिनेमाघरों को आग के हवाले कर दिया. इसके अलावा पेशावर में भी दो सिनेमाघरों में आग लगाई गई और कई दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट हुई. यहां कम से कम पांच प्रदर्शनकारी घायल हुए. साथ ही एआरवाई टीवी चैनल के एक कर्मचारी की मौत हो गई. पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने टीवी चैनल के कर्मचारी की मौत की जांच के आदेश दिए हैं.
सुरक्षा कर्मियों ने पेशावर और लाहौर में प्रदर्शनकारियों को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से दूर रखने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हवा में गोलियां चलाईं. पाकिस्तान में टीवी चैनलों पर अमेरिकी की तरफ से संदेश भी प्रसारित हो रहा है, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को यह कहते देखा जा सकता है कि सरकार का इस वीडियो से कोई लेना देना नहीं है.
इस्लामाबाद में भी विरोध प्रदर्शन हुआ लेकिन शुक्रवार को सरकार पहले से ही काफी सजग थी. एक दिन पहले यहां के डिप्लोमैटिक एनक्लेव में लोग विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हो गए और इस दौरान काफी तोड़फोड़ हुई. इस्लामाबाद के सबसे बड़े होटल सेरेना के बाहर भी प्रदर्शनकारियों का गुट जमा हो गया और अमेरिकी लोगों को उनके हवाले करने की मांग करने लगा. होटल के सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उन्हें पीछे धकेला.
इस दौरान होटल में कई विदेशी फंसे हुए थे. डॉयचे वेले के पूर्व दक्षिण एशिया प्रमुख टॉमस बैर्थलाइन एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में कई महीनों से इस्लामाबाद में हैं. गुरुवार को जब सेरेना होटल के बाहर भीड़ जमा हुई तो वह भी वहां मौजूद थे. बैर्थलाइन ने डॉयचे वेले को बताया, "विदेशी लोगों में उस दौरान काफी डर बैठ गया था और हम लोग होटल से निकल नहीं पा रहे थे. हालांकि किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. कई गाड़ियों को जरूर तोड़ दिया गया. मेरी गाड़ी पर भी खरोंचे आई हैं."
पाकिस्तान ने शुक्रवार को पैगंबर मुहम्मद के लिए "प्यार का दिन" के रूप में मनाने का फैसला किया और प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने कहा कि इस्लाम शुरू करने वाले पर हमला, "सभी डेढ़ अरब मुस्लिमों पर हमला है."
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयय ने यूट्यूब पर डाले गए वीडियो का विरोध करने के लिए अमेरिकी राजदूत को समन किया. पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर चल रहे तनाव में इस घटना ने नई गांठ डाल दी है. पाकिस्तान की सरकार ने लोगों से विवादित वीडियो की निंदा करने की अपील की लेकिन साथ ही यह भी कहा कि विरोध शांतिपूर्ण होना चाहिए. सरकार की तरफ से शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए कड़े एहतियाती कदम भी उठाए गए यहां तक कि कुछ जगहों पर तो सेना की टुकड़ियां भी तैनात की गईं.
शुक्रवार को पाकिस्तान में सुरक्षा के लिहाज से मोबाइल फोन का नेटवर्क भी ज्यादातर शहरों में बंद कर दिया गया था जिससे आतंकवादी या चरमपंथी बम धमाके करने में उनका इस्तेमाल नहीं कर सकें. स्थानीय समय के मुताबिक शाम छह बजे के बाद ही मोबाइल का नेटवर्क बहाल हुआ. सरकार ने इसे राष्ट्रीय छुट्टी का दिन घोषित कर दिया और विरोध प्रदर्शनों को छोड़ आम तौर पर देश के ज्यादातर शहरों में सन्नाटा पसरा था. पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों को भी इस बारे में बयान देने में सावधानी बरतने और बचने की सलाह दी गई है.
सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है लेकिन इस्लामाबाद में मौजूद विदेशी खास तौर से अमेरिकी लोगों के मन में डर हैं. बैर्थलाइन ने बताया, "लोग बाहर निकलने से बच रहे हैं और कई लोगों ने तो यहां से फिलहाल चले जाना ही बेहतर समझा है." उन्होंने बताया कि विरोध करने वालों में ज्यतादातर कट्टरपंथी और चरमपंथी गुटों के लोग हैं और उनकी पहल पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों का फायदा उठाने के लिए स्थानीय असामाजिक तत्वों भी भीड़ में शामिल हो गया है. बैर्थलाइन ने कहा, "आम लोगों में गुस्सा है लेकिन वह हिंसा नहीं कर रहे, हिंसा करने वाले जैसा कि आम तौर पर होता है गुंडे और बदमाश किस्म के लोग ही हैं."
रिपोर्टः निखिल रंजन (रॉयटर्स, एएफपी)
संपादनः ए जमाल