पाकिस्तान में बढ़ रही है हताशा
१४ अक्टूबर २०१२मानसिक चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि पाकिस्तान की करीब आधी आबादी आतंकवाद, गरीबी और बेरोजगारी की वजह से गंभीर विषाद और दूसरे मानसिक रोगों का शिकार है. हाल के सालों में मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में गिरावट के कारण लोगों की सहनशीलता कम हुई है और लोग हिंसक भी हुए हैं. लाहौर के फाउंटेन हाउस मेडिकल सेंटर में मानसिक रोगों के चिकित्सक इमरान मुर्तजा कहते हैं, कि आबादी का बड़ा हिस्सा असुरक्षा की भावना से ग्रस्त है. "आतंकवाद, अराजकता और आत्मघाती हमलों की वजह से पाकिस्तान के लोगों की जिंदगी बेहद खराब हो चुकी है. रही सही कसर कीमतों में बढ़ोत्तरी और बेरोजगारी ने पूरी कर दी है."
65 साल पहले अस्तित्व में आए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाली सहायता पर निर्भर है. कीमतें आसमान छू रही हैं, बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है और युवाओं की आबादी का बड़ा हिस्सा नौकरी की तलाश में देश छोड़ने की फिराक में है.
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान का मौजूदा संकट अब तक का सबसे भयानक संकट है. तालिबानी उग्रपंथियों के आत्मघाती हमलों में बहुत से पाकिस्तानी नागरिक मारे गए हैं. खैबर पख्तूनख्वा में तालिबान के विद्रोह और बलोचिस्तान में चल रहे अलगाववादी आंदोलन ने पाकिस्तान के अस्तित्व पर ही संकट खडा़ कर दिया है. लाहौर के आगा खान अस्पताल के डॉक्टर नदीम सिद्दिकी कहते हैं, "देश में आतंकवाद की बढ़ती घटनाएं लोगों के खराब मानसिक स्वास्थ्य के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. लोग एक ओर हिंसक हो रहे हैं और खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे है तो दूसरी ओर उनकी संवेदना खत्म हो रही है. अगर शहर में बम विस्फोट होता है तो लोग ये नहीं पूछते कि धमाका कहां और कैसे हुआ. लोग ये पूछते हैं कि बम धमाके के कारण कौन-कौन सी सड़कें बंद हैं."
नदीम सिद्दिकी का कहना है कि मानसिक कष्ट और सामाजिक भय का महिलाओं पर और भी बुरा असर पड़ता है. वे कहते हैं, "पश्चिमी देशों में शादी का मतलब जीवन में स्थिरता होता है लेकिन पाकिस्तान में इसका उल्टा है." सिद्दिकी के अनुसार मानसिक रोग की अधिकांश मरीज महिलाएं हैं. "वे अपनी शादी से खुश नहीं हैं, उनके पति या सास ससुर उनके साथ खराब व्यवहार करते हैं."
जानकारों का मानना है कि पहले लोगों को स्थिरता और सुरक्षा की भावना देने वाली परिवारिक व्यवस्था बदलते आर्थिक और सामाजिक रुझानों के कारण टूट रही है. इसकी वजह से लोगों के दिमाग में डर भर गया है. सिद्दिकी ने मानसिक स्वास्थ्य के रोगियों पर पर्याप्त ध्यान न देने की वजह से सरकार की भी आलोचना की है. वे कहते हैं, "17 करोड़ पाकिस्तानियों के इलाज के लिए देश में महज 450 प्रशिक्षित मानसिक चिकित्सक हैं. इसके अलावा एक और समस्या है कि पाकिस्तान के लोग खुद भी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को गंभीरता से नहीं लेते. समस्या होने पर लोग डॉक्टर के पास जाने के बदले धर्म गुरुओं के पास जाते हैं.
रिपोर्ट: तनवीर शहजाद/वीडी
संपादन: महेश झा