"पाकिस्तान में बढ़ेंगे अमेरिकी हमले"
२१ दिसम्बर २०१०न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती हैं, "अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से वॉशिंगटन और अफगानिस्तान में बताए गए प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान के अंदर उन इलाकों में सैन्य गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी, जहां अब तक झड़पों के डर से अमेरिकी सैनिकों के जाने पर पाबंदी थी."
दरअसल अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान की तरफ से इस इलाके में कार्रवाई न किए जाने से परेशान हैं और इसीलिए वे खुद अपने हमलों में विस्तार की योजना बना रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि अब तक अमेरिकी सेना पाकिस्तान में सीमित गोपनीय छापों की कार्रवाई या संदिग्ध ड्रोन हमले ही करती रही है. हालांकि पाकिस्तान सरकार सार्वजनिक तौर पर इन कार्रवाइयों की आलोचना करता रही है और अमेरिका को बार बार याद दिलाती रही है कि पाकिस्तान की संप्रभुता से छेड़छाड़ न की जाए.
अमेरिका इन ड्रोन हमलों की अब तक जिम्मेदार नहीं लेता लेकिन अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेना और सीआईए के पास ही इस तरह की मानवरहित विमान तकनीक है. अमेरिका अगले साल जुलाई से अपनी सेनाओं को अफगानिस्तान से हटाना शुरू कर देगा. इसलिए राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व तुरंत अफगानिस्तान के हालात में कुछ न कुछ बदलाव चाहता है.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे तालिबान या हक्कानी गुट के नेताओं को पकड़ना या मारना चाहते हैं ताकि उनकी भविष्य की कार्रवाइयों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके. एक अधिकारी ने बताया, "हम सीमा पार कार्रवाई करने के इतने करीब कभी नहीं थे जितने अब हैं."
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी इस खबर के जवाब में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत ने कहा कि उनका देश उग्रवादी चुनौती से निपटने में सक्षम है और किसी भी देश को पाकिस्तानी सीमा के अंदर कार्रवाई की न इजाजत दी जाएगी और न ही इसकी जरूरत है.
अमेरिकी टॉप सैन्य कमांडर माइक मुलैन ने पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान में वहां के नेताओं से बात की है. पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी का कहना है, "इस यात्रा के दौरान नाटो सैनिक की इस तरह की किसी कार्रवाई पर विचार नहीं हुआ." पाकिस्तान का कहना है कि 2002 से इस साल अप्रैल तक इस्लामी चरमपंथी से लड़ाई में उसके 2,421 सैनिक और अर्धसैनिक बलों के जवान मारे गए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार