पाकिस्तानी टीवी पर अगवा जर्मन का वीडियो
२२ दिसम्बर २०१२जर्मन राहतकर्मी का 19 जनवरी को पंजाब के मुल्तान से इटली के एक राहतकर्मी के साथ अपहरण किया गया था. तब से अब तक उसकी कोई खबर नहीं मिली थी. वीडियो से कम से कम यह पता चल पाया है कि वह अब भी जिंदा है. वीडियो केवल 52 सेकेंड का है और इसमें जर्मन नागरिक को अपनी जान के लिए मदद मांगते हुए दिख रहा है.
कुर्सी पर बैठे हुए वह अंग्रेजी में कह रहा है, "हम बहुत बड़ी मुसीबत में हैं. कृपया कर के मुजाहिदीनों की मांगें पूरी कर दें. ये लोग हमें किसी भी वक्त जान से मार सकते हैं. हम नहीं जानते कब. शायद आज, शायद कल, शायद तीन दिन बाद."
हालांकि यह व्यक्ति वीडियो में 'हम' कह रहा है, लेकिन इतावली व्यक्ति का कोई जिक्र नहीं हुआ है. उसने बताया कि वह 59 साल का है और जर्मनी की गैर सरकारी संस्था वेल्ट हुंगर हिल्फे के लिए काम करता है. एक काली स्वेटशर्ट पहने हुए इस व्यक्ति ने विनती की है कि उसे बचाने के लिए किसी भी तरह की साजिश न रची जाए, "मैं जीना चाहता हूं और अपने परिवार को भी जिंदा देखना चाहता हूं."
वीडियो को देख कर लगता है कि उसे एक छोटे से कमरे में शूट किया गया है. हालांकि व्यक्ति यह कह रहा है कि मुजाहिदीन की मागें मान ली जाएं, लेकिन वीडियो में किसी भी मांग का जिक्र नहीं है. इस से पहले आई मीडिया खबरों के अनुसार अपहरण के पीछे तहरीके तालिबान का हाथ है और इस संगठन ने फिरौती की रकम मांगी है. साथ ही पाकिस्तान की जेलों में कैद अपने साथियों को छुड़वाने की मांग भी की है.
इसे पाकिस्तान के दुनिया न्यूज चैनल पर दिखाया गया है. चैनल के अनुसार उन्हें यह वीडियो उन सूत्रों से मिला है जिनके तार अल कायदा से जुड़े हैं. चैनल ने यह भी दावा किया है कि वीडियो पुराना नहीं है, बल्कि उसे शूट करने के फौरन बाद ही चैनल के पास भेज दिया गया था.
जर्मनी ने इस व्यक्ति की पहचान बताने से इनकार कर दिया है. जर्मनी का कहना है कि मुजाहिदीन ने इस व्यक्ति का अपहरण इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगता है कि जर्मनी की नीतियां गलत हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोआजम अहमद खान ने कहा, "हम जर्मन अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं. मामले की संजीदगी को देखते हुए हम अभी कोई भी टिपण्णी नहीं कर सकते."
इतावली और जर्मन राहतकर्मियों के अलावा पिछले साल अगस्त में लाहौर से एक अमेरिकी राहतकर्मी को भी अगवा किया गया था. पिछले साल जुलाई में स्विट्जरलैंड के एक दंपति का भी अपहरण किया गया था. उन्हें इस साल मार्च में छोड़ा गया.
आईबी/एनआर (डीपीए)