1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पानी के दवाब से हटाएंगे रिसा हुआ कच्चा तेल

२० अप्रैल २०११

एक साल पहले इसी समय मेक्सिको की खाड़ी में तेल के कुएं में आग लगने के बाद जो आपदा शुरू हुई. उसने अमेरिकी सरकार की नाक में दम कर दिया. कई महीनों बाद इस कुएं को बंद किया गया, तब तेल निकलना रुका.

https://p.dw.com/p/10wrr
तस्वीर: Morgan Heim/CIRES

कुल मिला कर 80 करोड़ लीटर तेल समुद्र के पानी में रिसा. एक ओर इस तरह की दुर्घटनाओं का पर्यावरण और सामुद्रिक पर्यावरण पर लंबे समय में क्या असर होगा इसकी खोज की जा रही है. दूसरी तरफ प्रयोग हो रहे हैं कि कैसे इस तरह की दुर्घटनाओं को तेजी से काबू में लाया जा सकता है.

Japan Onagawa Atomkraftwerk 08.04.2011
तस्वीर: dapd

कैसे साफ होगा तेल

तेल साफ करने के लिए कई देशों की कंपनियां काम कर रही थीं. इनमें नॉर्वे का शोध संस्थान एसआईएनटीईएफ यानी सिनटेफ भी शामिल है. नॉर्वे में तेल पर शोध का काम पुराना है क्योंकि वह उत्तरी सागर से तेल लेता है. शोध कर रहे स्वइन रामश्टाड बताते हैं, "हम यहां तेल दुर्घटना जैसी स्थिति पैदा करते हैं. समुद्र के पानी से भरे हुए इस बड़े बर्तन में 10 लीटर तेल डाल देते हैं. और फिर जांच करते हैं. सूरज है लहरे हैं. तो कुल मिला कर दुर्घटना के समय जैसी स्थिति होती है, वैसी ही बनाई जाती है. तीन दिन तक हम इस पर नजर रखते हैं."

सिनटेफ के शोधकर्ता स्वेइन रामश्टाड कहते हैं कि तेल अलग अलग तरह का हो सकता है. इसलिए ट्रोंडहाइम की लेबोरेट्री में अलग अलग तरह के तेल के सैंपल लिए जाते हैं. उनकी जांच की जाती है और संभाल कर रखा जाता है. हल्के कच्चे तेल से लेकर भारी तेल तक यह कितने दिन पानी में रहता है और कितनी दूर तक लहरों के कारण जा सकता है. इन सब बातों की जांच होती है.

NO FLASH Japan Onagawa Atomkraftwerk 08.04.2011
तस्वीर: AP

तीन तरीकों से सफाई

हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन से कच्चे के तेल की बात हो रही है. इस तेल और समुद्री पानी में रासायनिक प्रक्रिया क्या होती है या फिर समुद्र का पानी इस तेल पर कैसी प्रतिक्रिया देता है. इसी के बाद हम तय कर सकते हैं कि समुद्र में रिसे कच्चे तेल को सोखना है, जलाना है या फिर रासायनिक प्रक्रिया के जरिए खत्म करना है." यही तीन मुख्य तरीके हैं जिनसे तेल की सतह को समुद्री पानी से हटाया जा सकता है.

सिनटेफ के ही पेर डैलिंग तेल के अणुओं को तोड़ने की तकनीक के विशेषज्ञ हैं. इस रसायन के जरिए तेल के भारी अणुओं को छोटे छोटे हिस्सों में तोड़ दिया जाता है ताकि समुद्र में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु इसे खा लें. वह बताते हैं, "नॉर्वे में हम डिस्पर्शन के इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं लेकिन यह पूरी और मजबूत योजना के साथ तैयार की गई प्रणाली है. सवाल है कि साल के किस महीने में आप इसे इस्तेमाल कर सकते हैं. जहां मछलियों के अंडे होते हैं वहां आप इसे नहीं डाल सकते या फिर जहां पक्षी हों वहां इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता. यह सब देखने परखने के बाद ही तय किया जाता है कि पर्यावरण को सबसे कम नुकसान पहुंचाने वाला कदम कौन सा हो सकता है. "

World Press Photo Flash-Galerie
तस्वीर: Lu Guang

80 लाख लीटर केमिकल

डिस्पर्शन मेथड में अनुभव के कारण डैलिंग को मेक्सिको की खाड़ी की दुर्घटना के दौरान आपात टीम में जगह दी गई. डिस्पर्शन के लिए करीब 80 लाख लीटर केमिकल पानी में डाला गया. हालांकि इस पर बहस हुई क्योंकि कुछ जानकारों की दलील थी कि इस केमिकल का समुद्री पारिस्थितिकी पर असर होगा. लेकिन डैलिंग पूरे विश्वास से कहते हैं कि इस केमिकल से तेल का अणु बहुत तेजी से टूटेगा. वह बताते हैं, "हमने बहुत कुछ सीखा है. नॉर्वे में हम 20 साल से कोशिश कर रहे हैं कि समुद्र की सतह पर ही डिस्पर्सेंट डाल दें. लेकिन मेक्सिको खाड़ी में पहली बार डिस्पर्सेंट का इस्तेमाल किया गया. मुझे लगता है कि इस पर बहुत ज्यादा शोध किए जाने की जरूरत है. हमें पता होना चाहिए कि तेल का क्या होगा और इस प्रक्रिया का पर्यावरण पर क्या असर होगा."

फिलहाल सिनटेफ के विशेषज्ञ तेल को बिना किसी रासायनिक पदार्थ के हटाने की कोशिश में लगे हैं. उनका प्रयत्न है कि तेल को पानी के दबाव से हटाया जाए. यह प्रोजेक्ट एक साल में पूरा हो जाएगा.

Industrieschornsteine in Brasilien
तस्वीर: AP

आसान अब भी नहीं

सिनटेफ में विकसित इस तरह की तकनीक को इस्तेमाल में लेने वाले उपभोक्ताओं में नॉर्वे के क्लीन सीस असोसिएशन नोफो शामिल है. तेल के कारण होने वाले प्रदूषण को हटाने के लिए यह कंपनी दूसरी कंपनियों की मदद करती है. नोफो के सलाहकार योइर्न हेराल्ड एंडरसन कहते हैं, "अहम बात यह है कि तकनीक को वहां लाया जाए जहां तेल रिस रहा है. ताकि उसे रोका जा सके. तेल इधर उधर हिलता है, जहाज आते जाते हैं. इतना आसान नहीं है. बहुत जरूरी है कि दूर से स्थिति पर निगरानी रखी जा सके और तकनीक के इस्तेमाल के जरिए सटीक जानकारी मिल सके."

सैटेलाइट से निगरानी और विशेष विमानों का उपयोग तो अपनी जगह अहम है ही क्योंकि इसी से पता चल सकता है कि तेल किस ओर बह रहा है. लेकिन सच में केवल 10 फीसदी तेल ही हम हटा सकते हैं क्योंकि बाकी तेल या तो भाप बन जाता है या फिर इतना तरल होता है कि उसे पानी से अलग ही नहीं किया जा सकता. फिलहाल जरूरत है निगरानी करने वाली एक आधुनिक प्रणाली की.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा मोंढे

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें