पिता की तरह निडर सलमान तासीर की बेटी
२३ जून २०११22 वर्षीय सहरबानो तासीर ने न्यूयॉर्क में समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "मुझे लगता है कि मेरे पास बताने को बहुत कुछ हैः छह महीने पहले मेरे पिता को पाकिस्तान में कत्ल कर दिया गया क्योंकि वह ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग के खिलाफ थे." इस कानून के तहत इस्लाम के बारे में आपत्तिजनक बात कहने पर सजा ए मौत तक हो सकती है.
सलमान तासीर पाकिस्तान में सत्ताधारी पीपल्स पार्टी के सबसे ज्यादा उदार नेताओं में से एक थे. लेकिन उनकी इस बात के लिए भी आलोचना होती कि वह आम लोगों से बिल्कुल कटे हुए हैं. सलमान तासीर को राजधानी इस्लामाबाद में 4 जनवरी को उन्हीं के एक सुरक्षा गार्ड ने गोलियों से भून दिया. इसके बाद पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी को भी ईशनिंदा कानून की आलोचना की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. वह पाकिस्तान में इकलौते ईसाई मंत्री थे.
मुश्किल मोड़
सहरबानो का कहना है, "मैं यह सब बताने यहां आई हूं कि क्या होता है और क्यों होता ताकि लोगों को पता चले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके." अपने पिता की तरह सहरबानो भी सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर का इस्तेमाल करती हैं और ईशनिंदा कानून के बारे में खुल कर बोलती हैं. वह कट्टरपंथियों से अपने जान को खतरे के बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
अमेरिका के स्मिथ कॉलेज इन मैसेच्यूसेट्स से पढ़ाई करने वाली सहरबानो अब लाहौर में पत्रकार के तौर पर काम कर रही हैं. वह कहती हैं कि पाकिस्तान अब ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा हैं जहां उसे चरमपंथ और उदावार में से किसी एक को चुनना होगा. उनके मुताबिक, "हम अपने इतिहास के मुश्किल मोड़ पर हैं." वह 'धार्मिक चरमपंथ' और 'आतंकवाद के कैंसर' की निंदा करती हैं.
कोई हल नहीं
सहरबानो की राय है, "इस वक्त बहुत मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तानी के तौर पर हम देख रहे हैं कि हमारे देश के साथ क्या हो रहा है और हम बहुत बेबस हैं कि इसके समाधान का हिस्सा कैसे बनें." वह कहती हैं कि उनके पिता जैसे प्रगतिशील विचारधारा वाले कई राजनेता उदारवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं लेकिन इसका भविष्य उज्ज्वल नहीं दिखता. उनके मुताबिक, "मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान की समस्याओं का तुरंत कोई समाधान हो सकता है. हम इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं मानते."
पाकिस्तानी सरकार ने ईशनिंदा कानून में बदलाव से इनकार कर दिया है. संभावित बदलाव के खिलाफ पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद सरकार को यह कदम उठाना पड़ा. हालांकि मानवाधिकार समूह कहते हैं कि इस कानून का इस्तेमाल हमेशा निजी स्वार्थों के लिए किया जाता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम