पीएम की भावनात्मक अपील, अन्ना बोले पहले मांग मानो
२५ अगस्त २०११भारतीय प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार विरोधी बहस में सीधे हस्तक्षेप करते हुए संसद से कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों के सुधार प्रस्तावों पर विचार करे. उन्होंने सख्त लोकपाल कानून बनाने के लिए अनशन कर रहे 74 वर्षीय समाजसेवी अन्ना हजारे से भूख हड़ताल तोड़ने की भी अपील की. संसद में प्रधानमंत्री का भाषण भ्रष्टाचार विवाद पर गतिरोध समाप्त करने का उनका सबसे सीधा प्रयास रहा. इससे पहले प्रधानमंत्री ने अन्ना के गृहराज्य महाराष्ट्र से के केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख को अन्ना हजारे के पास संदेश लेकर भेजा था.
तुरंत कानून बनाने की मांग में नरमी
हजारे ने अनशन स्थल पर उनका समर्थन कर रहे 40 हजार लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना जवाब प्रधानमंत्री को भेज दिया है. वे संतुष्ट नहीं हैं लेकिन साथ ही संसद द्वारा तुरंत विधेयक पास करने की मांग में नरमी ला दी है. उन्होंने कहा कि संसद को शुक्रवार को निचले स्तर और प्रांतीय अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाने और सिटीजंस चार्टर बनाने की उनकी मांगों पर बहस शुरू कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष और सरकार उन मांगों को कानून में ढालने पर सहमत हो जाती है तो "वे अनशन समाप्त कर देंगे."
संसद में स्वयं अपना बिल लाने वाली सरकार ने हजारे की मांगों को अमल न होने वाला और असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया था. मनमोहन सिंह ने कहा कि संसद को लोकपाल बिल के सभी मसौदों पर पूरा विचार करना चाहिए. इनमें नागरिक संगठनों द्वारा प्रस्तावित दो दूसरे मसौदे भी शामिल हैं. सांसदों की तालियों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा, "सभी विचारों पर चर्चा होनी चाहिए ताकि हम सरकारी भ्रष्टाचार से निबटने में मदद देने वाला सर्वोत्तम बिल तय करें."
संसद में असाधारण एकता
यह कहते हुए कि हजारे का संदेश सुना गया है, प्रधानमंत्री ने अन्ना हजारे से अनशन तोड़ने की भावनात्मक अपील की. "उन्होंने अपनी बात रखी है. हमने उसे नोट किया है. मैं उनके आदर्शवाद का आदर करता हूं. मैं व्यक्ति के रूप में उनका आदर करता हूं. वे भ्रष्टाचार से निबटने के सवाल पर हमारी जनता की नाराजगी और चिंता की अभिव्यक्ति हैं. मैं आपकी सराहना करता हूं, मैं आपको सलाम करता हूं. उनकी जिंदगी बहुत मूल्यवान है. इसलिए मैं श्री अन्ना हजारे से अनशन समाप्त करने की अपील करता हूं."
उसके बाद असाधारण एकता दिखाते हुए विपक्ष ने भी मनमोहन सिंह की अपील का समर्थन किया. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "यह सभा अन्ना हजारे से अपील करती है की उनका जीवन मूल्यवान है, इसलिए अनशन तोड़ दें."
प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत ईमानदारी पर जोर
बुधवार को सरकार ने सभी संसदीय दलों की बैठक बुलाई थी जिसमें प्रदर्शनकारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया गया लेकिन मांगों को कानून बनाने की हजारे की मांग नहीं मानी गई. गुरुवार को संसद में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद फिर इस बात का संदेश भेजा गया है कि पारस्परिक विरोधों के बावजूद विभिन्न दलों के सांसद इस बात पर एकमत हैं कि संसद को कुछ करने का हुक्म नहीं दिया जा सकता. प्रधानमंत्री ने अपने भावनात्मक भाषण में इस पर जोर दिया कि उन्होंने व्यक्तिगत ईमानदारी बनाए रखी है.
उधर आज दिल्ली व्यापारी संघ के आह्वान पर हजारे के आंदोलन के समर्थन में हड़ताल हुई. राजधानी में दुकानें और थोक बाजार बंद रहा. प्रधानमंत्री के निवास के बाहर भी भ्रष्टाचार विरोधियों ने प्रदर्शन किया. हजारे के निकट सहयोगी इस बात की आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है और उन्हें जबरदस्ती खाना खिलाया जा सकता है. हजारे ने अपने समर्थकों से कहा है कि यदि पुलिस उन्हें ले जाने की कोशिश करती है तो वे सारे रास्ते बंद कर दें.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल