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200309 D&I

२३ मार्च २००९

भारत में पिछले साल जर्मन कारों की बिक्री में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मांग में वृद्धि के चलते जर्मन कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रही है. पुणे में मर्सिडिज का नया कारखाना काम करने लगा है.

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तस्वीर: AP

भारत दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता ऑटोमोबाइल बाज़ार है. अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को न सिर्फ़ उसके समृद्ध होते विक्रेता आकर्षित करते हैं बल्कि प्रतिस्पर्धी क़ीमतें, तकनीकी क्षमता की उपलब्धता और प्रशिक्षित कर्मचारी भी.

ऑटोमोबाइल उद्योग संघ के अनुसार पिछले साल भारत में जर्मन कारों की बिक्री में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, हालांकि कारों की बिक्री में कुल वृद्धि सिर्फ़ डेढ़ प्रतिशत रही है. जर्मनी से कार उद्योग में कल पुर्ज़ो के निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि भारतीय उद्यमों का जर्मनी को निर्यात आठ प्रतिशत बढ़ा है.

भारत में जर्मन कार कंपनियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी मर्सिडिज़ बेंज ने पिछले दिनों भारत में अपना नया कारखाना खोला है. कंपनी के कॉरपोरेट कम्युनिकेसंस प्रमुख सुहास कदलासकर कहते हैं, इस स्टेट ऑफ़ द आर्ट कारखाने में मर्सिडिज के क्वालिटी कंट्रोल के नए स्टैंडर्ड को लागू किया गया है.

पुणे के चकान में स्थित यह कारखाना अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न है और इसे निर्माण की शुरुआत के बाद सिर्फ़ 13 महीनों में पूरा किया गया है. मर्सिडिज परिसर का क्षेत्रफल 400 हेक्टर है और यहाँ कारखाने में भविष्य की ज़रूरतों के अनुसार विस्तार किया जा सकता है.

वर्षों तक भारतीय बाज़ार को नज़रअंदाज़ करने के बाद पिछले सालों में जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भारत में भारी निवेश किया है. लेकिन ऐसे समय समय में जब सारी दुनिया का ऑटोमोबाइल उद्योग वित्तीय संकट की मार झेल रहा है. सुहाल कदलासकर कहते हैं कि वित्तीय संकट के कारण पैदा हुई दिक्कतों के बाद सरकारी और कंपनी की योजनाओं के कारण स्थिति बदली है. फरवरी में कारों की बिक्री फिर से बढ़ी है.

पुणे के नए कारखाने में कारों और ट्रकों के निर्माण के लिए अलग अलग उत्पादक लाइनें हैं. कारखाने को सी, ई और एस क्लास की कारों के निर्माण के लिए तैयार किया गया है लेकिन ज़रूरत पड़ने पर वहाँ दूसरे मॉडेलों को भी बनाया जा सकता है. मर्सिडिज के अधिकारी इसे कंपनी के लिए नए काल की शुरुआत मान रहे हैं.

1999 में 600 गाड़ियों से शुरू करने वाली कंपनी ने पिछले साल 3600 गाड़ियां बेची हैं और पिछले तीन सालों में बिक्री में दुगुनी वृद्धि होती गई है. सुहास कदलासकर का कहना है कि बाज़ार में मर्सिडिज की स्थिति अच्छी है.

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए यह साल चुनौतियों का साल है.

महेश झा