पूरा यूरोप शीत लहर का शिकार
१३ जनवरी २०१०खोज में वायु में बढती कार्बन की मात्रा इन्सान की वजह है सोच बिल्कुल सही है. खेल कूद करनेवाले युवा को बुद्धिमान और फुर्तीला होना लाज़मी है. सारी रिपोर्ट ज्ञानवर्धक लगी .
हेलो ज़िन्दगी में बॉन यूनिवर्सिटी में हिंदी सीख़ रहे युवाओं से उनकी ज़ुबानी बातें एक अजीब विषय था जो लाजवाब लगी. इसमें थोमस जी से इंटरव्यू तो शामिल किया, लेकिन अगर प्रिया एसलबोर्न से भी इंटरव्यू लिया जाता तो और बेहतर होता. खैर प्रोग्राम दिल को भाया. धन्यवाद अशोक भाई.
इज़राइल अंसारी, आज़ाद रेडियो लिस्नर्स क्लब, नौगछिया
आज के कार्यक्रम में सबसे पहले विश्व समाचार उसके बाद सामयिक रिपोर्टों में पूरे यूरोप में शनिवार और रविवार को भारी बर्फ़बारी होने की संभावना और बर्फ़ गलने के लिए नमक के कम उपयोग करने की सरकारी सूचना, उसके बाद चाइना में पानी के प्रदूषित होने की जानकारी के साथ ही रुचिका मामले और टोगो के राष्ट्रीय फुटबाल टीम पर आतंकवादी हमलों में बस ड्राईवर की मौत की दुखद घटना से हमलोग अवगत हुए. पता नहीं आतंक का यह घिनौना खूनी खेल कब तक चलता रहेगा.
सामयिक रिपोर्टों में इंडोनेशिया के नूर हुदा इस्मैल द्वारा आतंकवादी युवाओं को वापस सही राह पर लाने के लिए किये जा रहे प्रयास वास्तव में काफी सराहनीय हैं और इस कार्य के लिए इस्मैल वाकई में धन्यवाद् का पात्र है. आशा है ईश्वर इस्मैल की सहायता जरुर करेगें इसके बाद आज के साप्ताहिक कार्यक्रम वेस्ट वॉच के तहत भाई अनवर जमाल जी ने हवाई यात्रा को आतंकवादी हमलों से सुरक्षित बनाने के लिए बहुत से हवाई अड्डों पर अब सभी यात्री को बॉडी स्केनर से होकर गुज़रना पड़ेगा इसकी जानकारी तथा इसी विषय पर विशेषज्ञों के विचार काफी अच्छे लगे.
अभय चन्द्र झा, अनामिका रेडियो श्रोता क्लब, सीतामढ़ी,बिहार
आज आपके द्वारा प्रस्तुत हेलो जिंदगी में जर्मनी की बॉन युनिवर्सिटी में हिंदी सीखने वाले की एक छोटी सी दुनिया पर प्रसारित रिपोर्ट काफ़ी बेहतर लगी. भले ही हिंदी सीखने वालों की छोटी सी दुनिया हैं, लेकिन उनका हिंदी के प्रति सम्मान तथा हिंदी सीखने की लगन देखकर मुझे काफ़ी प्रसन्नता हुई. जहां हमारे ही देश में लोगों की भावना बढ़ती जा रही है कि इंग्लिश ही सब कुछ है. एक ओर जहां इंग्लिश जानकार को हिंदी के जानकार के अपेक्षा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस तरह की सोच वाले लोगो को इस रिपोर्ट से सीख लेनी चाहिए. हिंदी का जब हम ही अनादर करेंगे तो बाहरी देश के लोग क्या सम्मान करेंगे? इस रिपोर्ट के लिए अशोक जी को धनयबाद.
राघो राम,मनीष रेडियो श्रोता क्लब,भोजपुर,बिहार.
धड़कन में आज की चर्चा बहुत पसंद आयी, जिन बातों के बारे में हम कभी सोचते भी नहीं उसके बारे में जानकारी मिली.
सैयद एहसान अहमद, सिवान, बिहार
07.01.2010 के साप्ताहिक प्रोग्राम अंतरा में आपने बताया कि 2010 में महिलाओं के लिए क्रांति का वर्ष होगा जहां भारत में 33% आरक्षण मिलने की संभावना है ऐसे में अगर भारत सरकार इन्हें आरक्षण देती है तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी महिलाओं के लिए इतनी अच्छी वार्ता के लिए प्रिया जी को थैंक्स.
08.01.2010 को धड़कन कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता सचिन गौड़ ने बताया कि A4 साइज़ पेपर का नाम किस देश में रखा गया था तथा इस पेपर का नाम कोई और क्यों नहीं रखा गया. इतनी अच्छी जानकारी के लिए सचिन गौड़ को धन्यवाद
मधु देवी, सरन रेडियो श्रोता संघ, दुमर्सन छपरा बिहार
वेबसाइट पर ऑस्ट्रेलिया में भारतीय युवक पर हमला हुआ के बारे में ढेर सारी सामग्री पढ़ने को मिली. ऑस्ट्रेलिया में भारतीय विद्यार्थियों पर हमलों और उनके साथ नस्लभेद के मामलों में कोई कमी आती नहीं दिख रही है. अच्छा होगा कि भारत में ही बेहतर और विश्वस्तरीय शिक्षा का प्रबंध किया जाए जिससे ऑस्ट्रेलिया जाने की जरूरत ही न पड़े. दरअसर, भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया की यूनीवर्सिटी और कॉलेज में इसलिए एडमिशन लेने के लिए आतुर रहते हैं ताकि वे ऑस्ट्रेलिया की स्थाई नागरिकता हासिल कर सकें.
रवि शंकर तिवारी, नई दिल्ली
वास्तव में थरूर ने वही कहा है जो एक सोचने समझने वाला दिमाग कह सकता है. नेहरू की विदेश नीति निश्चय ही एक भावुक आदर्शवादी सोच का प्रदर्श था. कुल मिलाकर उसका परिणाम भारत के लिये बहुत अच्छा रहा हो ऐसा नहीं कहा जा सकता. इन्दिरा गांधी ने तो गुटनिरपेक्षता का बस मखौल ही बना दिया. वैसे भी आज की श्री मनमोहन सिंहजी की सरकार नेहरूयुगीन वैदेशिक नीति में आमूलचूल परिवर्तन लाकर भारत को काफि हद तक सही रास्ते पर लाने में सफल रही है. ये अलग बात है कि खुलेआम नेहरूवादी नीतियों की आलोचना अभी भी कॉंग्रेस पार्टी की संस्कृति का हिस्सा नहीं बन पाई है. इस मायने में यह पार्टी काफ़ी कमज़ोर दिखती है. थरूर के ऐसे बयान शायद कांग्रेस पार्टी को आत्ममंथन करने का मौका दे सकती है.
नमितांशु वत्स, ईमेल से
आज कल हमारा प्रदेश शीत लहर का शिकार बना हुआ है ठंडी इतनी कि भैंस भी दूध के स्थान कुल्फी देने लगी है ऐसे में बिस्तर में बैठ कर DW के कार्यक्रम सुनने में जो मज़ा आता है उसे बयान नहीं किया जा सकता
हम नियमित रूप से आप की वेबसाइट देखते हैं जिस रोज़ नहीं देखते ऐसा लगता है कि कुछ खोया हुआ है किन्तु पत्र रोज़ लिखना सम्भव नहीं है दिनांक 11-01-2010 के सभी आर्टिकल बहुत अच्छे लगे जैसे शेख़ हसीना मनमोहन मुलाकात, भारतीय हॉकी वतन से वेतन तक और कुछ आर्टिकल चिंता जनक भी थे जैसे दो भारतीय विमानों में यात्रियों का ग़लत व्यवहार, आबादी बढ़ने के साथ बढ़ती CO2 की मात्रा, दिल का एक ख़ास ऑप्रेशन दुनिया में पहली बार.
जावेद अख्तर, एजूकेशन वेबसाइट अलॉयंस, मऊनाथ भंजन, मऊ, उत्तर प्रदेश
आज हमें इस बात में नही पढ़ना चाहिए कि इराक के पास जनसंहार के हथियार थे या नही थे. या फ़िर इराक पर हमला करना सही कदम था या गलत कदम था. इन सवालों के उत्तर इराक में युद्धरत देशों की जनता के विवेक पर छोड़ देने चाहिए. आज इराक को विश्व समुदाय के सहयोग की जरुरत है. इराक की लोकतांत्रिक व नागरिक संस्थाऒ की क्षमताओं को शक्तिशाली बनाने का प्रयास करना चाहिए. इराक के सुरक्षाबलों को हर प्रकार की स्थिती से निपटने के लिए विशेष प्ररिक्षण देना चाहिये. जिससे वह इराक मे फ़ैले आतंकवाद का मुकाबला कर सके. इराक के तबाह हो चुके आधारभूत ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय निवेश की आवश्कता है इस कार्य में विश्व समुदाय अपना योगदान दे सकता है. इराक को चरमपंथ का गढ़ नही बनने के लिए आवश्क है कि वहां मानवाधिकार, उदारवादी और लोकतांत्रिक संस्थाएं शक्तिशाली बनें.
हरीश बिस्त , ईमेल से.