पूरा हुआ ब्रूनी का सपना और सारकोजी का वादा
५ दिसम्बर २०१०शनिवार को भारत की जमीन पर कदम रखने के बाद फ्रांस की प्रथम महिला से पत्रकारों ने भारत के बारे में उनकी पहली प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनके होठों से बस यही बोल फूटे, "यह मेरा पहला दौरा है और यह किसी सपने जैसा है." बैंगलोर में थोड़ा वक्त बिताने के बाद सारकोजी और ब्रूनी का यह प्रेमी जोड़ा मोहब्बत की अनूठी निशानी ताजमहल देखने निकल पड़ा.
सारकोजी ताज को पहली ही मुलाकात में 'असीम धरोहर' कह चुके हैं. प्रेमिका से पत्नी बनीं कार्ला ब्रूनी को यहां लाकर सारकोजी ने वो वादा भी पूरा कर दिया जो उन्होंने ताज से पहली मुलाकात मे किया था. फ्रेंच राष्ट्रपति इससे पहले भी भारत आ चुके हैं. 2008 के गणतंत्र दिवस पर उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. उस वक्त तक उनकी शादी कार्ला ब्रूनी से नहीं हुई थी हालांकि प्रेम के रास्ते पर दोनों काफी आगे निकल चुके थे. उस छोटे दौरे में भी राष्ट्रपति ने ताजमहल देखने का मौका निकाल लिया. प्रोटोकॉल का मसला होने के कारण ब्रूनी तब तो उनके साथ नहीं आ सकीं पर इस बार कोई बाधा नहीं थी.
ताज के आगोश में सूट पहने सारकोजी और घुटने तक की ड्रेस पर गले में दुपट्टा लपेटे ब्रूनी ने करीब घंटा भर बिताया. शाम घिरने लगी तो दोनों जल्दी ही वहां से चल पड़े और बहुत संभव है कि रविवार सुबह फतेहपुर सीकरी जाते वक्त वे दोबारा यहां जाएं.
आनन फानन में बने प्रोग्राम की जानकारी मीडिया को भी नहीं थी इसलिए कोई पत्रकार भी नहीं पहुंचा लेकिन दोनों के आने के बाद जब तक मीडिया के कैमरे चमकते पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया और किसी को तस्वीर उतारने का मौका नहीं मिला. खुशकिस्मत रहा वह बैटरी ऑपरेटेड टैक्सी का ड्राइवर जाहिद जो सारकोजी और ब्रूनी का सारथी बना. उसके लिए तो यह सब किसी सपने जैसा था.
राष्ट्रपति ने पहली बार ताज से विदा लेते समय वादा किया था कि वह बहुत जल्द वापस लौटेंगे और शनिवार को उन्होंने ब्रूनी के साथ ताज का भरपूर दीदार किया. प्रेम की निशानी को प्रेमी जोड़े ने साथ देखा. ब्रूनी का सपना और राष्ट्रपति का वादा एक साथ पूरा हुआ.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार