पेलिन की किताब व्हाइट हाउस में पाली की तैयारी
२४ नवम्बर २०१०2008 में रिपब्लिकन पार्टी की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं सारा पेलिन की किताब अमेरिका बाई हार्ट मंगलवार को बाजार में आई है. अलास्का की पूर्व गवर्नर पेलिन ने खुद को टी पार्टी आंदोलन के साथ जोड़ते हुए किताब में रिपब्लिकन और डेमोक्रैट दोनों पार्टियों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहीं भी ऐसा नहीं कहा है कि वह 2012 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगी लेकिन किताब पढ़कर कोई भी समझ सकता है कि उनके इरादे क्या हैं.
प्रांतीय सरकार प्रमुख रही सारा पेलिन का मानना है कि संघीय कर असल में वॉशिंगटन की ताकत का स्रोत हैं और इन्हें खत्म कर दिया जाना चाहिए. वह चाहती हैं कि स्कूलों में प्रार्थना कराई जाए और वह उन स्वास्थ्य सुधारों को पलट देना चाहती हैं जिन्हें ओबामा प्रशासन अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताता है.
नैशविल की वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में इतिहास पढ़ाने वाले थॉमस श्वार्त्ज कहते हैं कि इस तरह की किताबों का मकसद राष्ट्रपति चुनाव के लिए जमीन तैयार करना ही होता है. वह कहते हैं, "इस तरह किताबों की अमेरिका में एक परंपरा रही है. इन किताबों को प्रचार के लिए एक पॉलिसी पेपर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. अगर यह वोटरों को एकजुट करने में कामयाब रहे तो समझिए मकसद हल हो गया."
पेलिन इस किताब में खुद को रोनाल्ड रीगन के खाके में पेश करती है. वह किताब की शुरुआत कुछ इस तरह करती हैं, "क्या आपको आजादी से प्यार है?!" वह अमेरिका को रोनाल्ड रीगन के सपनों का चमकता हुआ शहर बताती हैं. वह कहती हैं कि उनकी पसंदीदा फिल्म है मिस्टर स्मिथ गोज टु वॉशिंगटन. वह सोवियत रूस के पतन को याद करती हैं और कहती हैं कि अमेरिका का डिक्लेयरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस पढ़कर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
लेकिन वह सिर्फ पुराने वक्त के सपनों में नहीं खोई रहतीं. किताब उससे आगे की बात करती है. वह ओबामा के स्वास्थ्य सुधारों को ऐसी चीज बताती हैं जो चल नहीं पाएंगे. और करों के मुद्दे पर वह टी पार्टी के प्रति अपने प्यार को उजागर कर देती हैं. वह लिखती हैं, "अमेरिका में हमेशा से तो आय कर नहीं रहे. ऐसा पहला टैक्स 1861 में गृह युद्ध में मदद के लिए लगाया गया था. बाद में इसे हटा लिया गया. इसके बाद 1913 तक ऐसा कोई कर नहीं रहा. 1913 में संविधान में 16वां संशोधन हुआ और तब संघीय आय कर लगाया गया."
लोग इस किताब को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहे हैं. न्यू यॉर्क में पॉप कल्चर पर लिखने वाले माइकल मस्टो कहते हैं कि सेरा पेलिन की करों वाली बात काफी वोटरों को लुभा सकती है. लेकिन मस्टो को नहीं लगता कि सेरा पेलिन ब्रैंड में कोई ज्यादा दम है. मस्टो कहते हैं, "वह आम लोगों तक पहुंच तो रही हैं. लेकिन दिक्कत यह है कि हो सकता है 2012 में लोग उन्हें एक पूर्व रियल्टी टीवी स्टार के रूप में याद रखें."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा