प्रदर्शन और उम्र को जोड़ कर देखना गलत: सचिन
३१ जुलाई २०१०गॉल में पहले टेस्ट में हार के बाद कोलंबो में श्रीलंका ने भारतीय टीम के सामने रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया जिससे ऐसा लगा कि दबाव में टीम इंडिया बिखर जाएगी. लेकिन नाजुक मौके पर तेंदुलकर रूपी चट्टान का जोश, जज्बा और अनुभव टीम के लिए राहत की बयार लेकर आया. सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में अपना पांचवां दोहरा शतक बनाते हुए 203 रन की शानदार पारी खेली और भारत को ऐसी स्थिति में पहुंचा कर दम लिया जहां से मैच हारने की कोई संभावना ही नहीं थी.
ढलती उम्र में भी जानदार सचिन शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनके मन में एक टीस भी है. उन्हें तब बुरा लगता है जब उनकी उम्र और खराब प्रदर्शन को लोग जोड़कर देखने लगते हैं. "जब तक आप मानसिक रूप से मजबूत हैं और मुश्किल परिस्थितियों में खेलने के लिए तैयार हैं, उम्र आपके लिए मायने नहीं रखती. मुझे लगता है कि अब उम्र के बारे में बात बंद कर देनी चाहिए. अगर मैं 37 साल की उम्र में दोहरा शतक बना सकता हूं तो फिर उम्र कोई मायने नहीं रखती."
20 साल से टेस्ट और वनडे क्रिकेट की दुनिया में दबदबा कायम रखने वाले सचिन ने टेस्ट मैचों में 48 शतक लगा चुके हैं. यानी टेस्ट शतकों के अर्धशतक में सिर्फ दो शतकों की कमी है. तेंदुलकर की पारी कोलंबो टेस्ट में भारत के लिए बेहद अहम साबित हुई लेकिन सचिन ने पहला टेस्ट खेल रहे सुरेश रैना और वीरेंद्र सहवाग की जमकर तारीफ की. रैना ने 120 रन की पारी खेली जबकि सहवाग सिर्फ एक रन से शतक बनाने में चूक गए.
"सुरेश रैना ने मेरे साथ अहम साझेदारी की और पूरा श्रेय उन्हीं को जाता है. जिस तरह की शुरुआत हमें सहवाग से मिली, वह भी मायने रखती है." पहला टेस्ट हारने के बाद भारत सीरिज में 1-0 से पीछे है और तेंदुलकर का कहना है कि टीम आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन टीम बने रहना चाहती है. लेकिन भारत अगर तीसरा और आखिरी टेस्ट हार जाती है तो फिर नंबर वन टीम का उसका सिंहासन डोल जाएगा. तेंदुलकर मानते हैं कि नंबर वन होना बहुत जरूरी है. टीम बेहद मुश्किल से वहां पहुंची है और उसे बरकरार रखना जरूरी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह