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प्रदूषण रोकने के लिए प्लास्टिक के घर

२ सितम्बर २०११

प्लास्टिक की बोतलों से बना एक घर? सुनने में अजीब सा लग सकता है लेकिन पहली बार वह अफ्रीका में ही दिख रहा है. विचार जर्मनी के आंद्रेयास फ्रोएजे का है जो प्लास्टिक से होने वाली पर्यावरण समस्या को दूर करना चाहते हैं.

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तस्वीर: DARE

दुनिया में उपयोग में आने वाला 80 फीसदी प्लास्टिक बहकर समुद्र में पहुंच जाता है. वह दुनिया का सबसे बड़ा कूड़ा भंडार हो गया है. प्लास्टिक की बोतलों को गलकर समाप्त होने में सैकड़ों साल लगते हैं. लेकिन आंद्रेयास फ्रोएजे का कहना है कि बेकार सा लगता यह कूड़ा मूल्यवान संसाधन हो सकता है. रास्ता एकदम आसान है और प्रभावी भी. प्लास्टिक की खाली बोतलों को बालू या राख से भरकर एक दूसरे के ऊपर जमा कर दिया जाता है और फिर गारे से चुन दिया जाता है. इस ढांचे को नाइलोन की रस्सी से पक्का किया जाता है ताकि वह गिरे नहीं. आंद्रेयास फ्रोएजे प्रशिक्षित राजमिस्त्री हैं और इस तरह से वह पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं. साथ ही गरीबी में रहने वाले लोगों को घर में रहने की संभावना देना चाहते हैं.

NO FLASH Nigeria Plastikflasche PET Flasche
तस्वीर: AP

अब तक 50

इस उद्देश्य से दस साल पहले फ्रोएजे ने होंडुरास में इको-टेक नाम की एक कंपनी बनाई. इस बीच इस कंपनी ने दुनिया भर में प्लास्टिक के करीब 50 मकान बनाए हैं. वे 7.3 की तीव्रता वाले भूकंप को भी झेलने में सफल रहे हैं. लेकिन अभी भी जब फ्रोएजे अपनी योजना पेश करते हैं तो उस पर लोगों की प्रतिक्रिया संयमित होती है.

फ्रोएजे कहते हैं, "शुरू में उत्साह से ज्यादा संशय होता है. लेकिन चूंकि यह कल्पना से परे है, इसलिए आकर्षक भी है." फ्रोएजे का कहना है कि प्लास्टिक की बोतल सामान्य ईंट से ज्यादा बोझ और धक्का सह सकती है.

Nigeria Haus aus PET-Flaschen in Afrika Plastikflaschen statt Ziegel
तस्वीर: DARE

एक साल पहले फ्रोएजे ने इस योजना को अफ्रीका ले जाने का फैसला किया. उगांडा में उन्होंने पानी का एक टैंक बनाया और नाइजीरिया में अक्षय उर्जा संस्थान डेयर के साथ एक परियोजना शुरू की. कादूना में प्लास्टिक की बोतलों से अफ्रीका का पहला घर बन रहा है. इसके लिए हाल में ट्रेनिंग पाए मिस्त्रियों को बोतलें होटलों, दूतावासों और सामान्य घरों से मिल रही हैं. इन घरों में बिजली सौर ऊर्जा से मिलेगी, घर का अपनी जलनिकासी पद्धति होगी और पीने का पानी साफ करने की मशीन भी होगी.

युवाओं का साथ

इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण पहलू युवा लोगों का प्रशिक्षण है. डेयर संस्था के प्रमुख याह्या अहमद का कहना है कि युवा बेरोजगारी नाइजीरिया की एक बड़ी समस्या है, वह टिक टिक करता टाइम बम है. युवा लोग सरकार से निराश और असंतुष्ट हैं. स्कूल पास करना नौकरी की गारंटी नहीं है. लेकिन इस परियोजना की वजह से युवाओं को हिंसा से दूर रखने में मदद मिल रही है. याह्या अहमद कहते हैं, "हाल की हिंसक घटनाओं में हमारा कोई युवा शामिल नहीं था. लेकिन पहले वे सब उधमी रह चुके हैं. इसलिए यह एक सफलता है."

Kaduna/Nigeria: Plastikflaschen statt Ziegel
तस्वीर: Yahaya Ahmed/DARE

संस्था का दूरगामी इरादा एक प्रशिक्षण केंद्र बनाने का है. प्लास्टिक के घरों के निर्माण के दौरान किशोरों को प्रशिक्षण दिया जाता है. अब तक इस परियोजना में 90 लोगों को काम मिला है, जिनके पास पहले न तो कोई काम था और न ही कोई ट्रेनिंग मिली थी. जनवरी में ये लोग एक स्कूल की इमारत बनाएंगे और साथ ही छात्रों को बोतलें भरने की ट्रेनिंग देंगे. इस परियोजना में भाग ले रहा एक किशोर कहता है, "मैं कभी नहीं सोचा था कि मैं इस तरह का काम कर सकता हूं. अब मुझे गर्व है कि अफ्रीका के कुछेक लोगों में हूं जिसे यह तकनीक आती है और मैं इसे दूसरों को बताऊंगा."

प्लास्टिक से घर बनाना ईंट गारे के मकान से सस्ता भी है. नाइजीरिया में एक ईंट की कीमत उतनी है जितनी एक आम मजदूर दिन भर में कमाता है. लेकिन इस तरह की परियोजनाओं के लिए धन जुटाना आसान नहीं. इको टेक की सफलता के बावजूद परियोजनाओं के लिए स्पॉन्सर पाना मुश्किल है. आमतौर पर गैर सरकारी कंपनियां और छोटी ग्राम पालिकाएं इसके लिए मदद देती हैं. याह्या अहमद को उम्मीद है कि पर्यावरण और विकास के लिए इसके महत्व को देखते हुए जल्द ही नाइजीरिया की सरकार भी मदद के लिए सामने आएगी.

रिपोर्ट: मरयम लावाल/मझा

संपादन: वी कुमार

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