प्लीज और बच्चे पैदा करो नहीं तो...
१ सितम्बर २०१२परिवार वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर की सरकार ने एक नया सरकारी विभाग खोलने का ऐलान किया है. इसका नाम है समाजिक और परिवार विकास मंत्रालय. निम्न जन्म दर से परेशान होकर सिंगापुर के संस्थापक ली कुआन यूव ने भी लोगों से परिवार बढ़ाने की अपील की है.
राष्ट्रीय दिवस के मौके पर उन्होने कहा कि अगर यही हाल रहा तो कुछ दिन बाद हमारे यहां सिंगापुर का एक भी मूल नागरिक नहीं बचेगा. सिंगापुर में जन्म दर दुनिया में सबसे कम है. यहां औसतन एक महिला के 1.2 बच्चे होते हैं. सिंगापुर के खेल मंत्री चान चुन सिंग कहते हैं, "हम आबादी के बूढ़े होते जाने की समस्या का सामना कर रहे हैं. वहीं पर ये बात भी सही है कुछ लोग या तो शादी ही नहीं करते या देर से शादी करते हैं. हमें ऐसे प्रयास करने की जरुरत है जिससे जवान लोगों को प्रेरणा मिल सके कि वो अपना परिवार बसाएं."
सिंगापुर में पहली बार मां बनने पर सरकार की ओर से 7,990 अमेरिकी डॉलर की मदद दी जाती है. दूसरी या तीसरी बार मां बनने पर सरकार की ओर से 22 हजार अमेरिकी डॉलर की मदद दी जाती है. 37 साल की जेनेविवे ली कहती हैं, "ये पर्याप्त नहीं है." उनके दो बच्चे हैं जिसमें से एक की उम्र 5 साल है और दूसरे की 7 साल. कम उम्र का होने के बाद भी उन्हें सप्ताह के अंत में ट्यूशन भेजा जाता है. बकौल ली अच्छे स्कूल का खर्चा और दूसरी बातें मिलाकर हर महीने 500-600 डॉलर का खर्च होता है.
34 साल की नूर का भी यही मानना है. वो कहती हैं, "अगर सरकार वाकई ज्यादा बच्चे चाहती है तो ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह देने की बजाए सरकार को हमारे लिए और ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए."
ताजा आंकड़ों के मुताबिक सिंगापुर के 30 से 40 साल की आयुवर्ग के 44 प्रतिशत पुरुष शादी नहीं करते जबकि इसी आयुवर्ग की 31 प्रतिशत महिलाएं भी अकेले ही जीवन व्यतीत करती हैं. सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती है. सिंगापुर की ज्यादातर युवा महिलाएं शादी ही नहीं करना चाहतीं. 32 साल की मैरी च्यांग का कहना है, "मैंने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई और अच्छी नौकरी में लगाया. मुझे महंगे जूते, कीमती पर्स खरीदना और घूमना पसंद है. लेकिन बच्चे होने पर मैं ऐसा नहीं कर सकती."
स्थिति में सुधार न होता देख सरकार भी ये तय करने में लगी है कि क्या उपाय किए जाएं जिससे जन्मदर बढ़े. सरकार द्वारा प्रायोजित डेटिंग एजेंसी, माई परफेक्ट चलाने वाले मैगी लिम कहते हैं, "यहां लोग निजी जिंदगी में सरकार के दखल को बुरा नहीं मानते. वो इससे सुरक्षित महसूस करते हैं." नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर तान अर्न सेर का मानना है, "सिंगापुर में बच्चों की कम जन्मदर का कारण परवरिश के खर्चे में आई बढ़ोतरी भी हो सकती है. पहले बच्चों के पालन पोषण का खर्चा काफी कम था. माता पिता का पूरा ध्यान बच्चे की परवरिश पर होता था लेकिन अब उनकी कोशिश होती है कि वो खुद को सफल साबित कर सकें. कुल मिलाकर समस्या निजी चाहत की भी है. जो देश के लिए अच्छा है वह व्यक्ति या परिवार के लिए भी अच्छा हो यह जरूरी नहीं."
वीडी/एएम (डीपीए)