1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फतह और हमास के समझौते से इस्राएल नाराज

५ मई २०११

इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने फलीस्तीनियों के बीच एकता समझौते की निंदा की है. नेतन्याहू ने इस समझौते को 'शांति के लिए एक बड़ा झटका' बताया है.

https://p.dw.com/p/119DX
नाराज नेतन्याहूतस्वीर: AP

फलीस्तीनी फतह आंदोलन इस्राएल के साथ शांति वार्ता को समर्थन देता है और इस्लामिक हमास की स्थापना के वक्त जारी चार्टर में यहूदी राष्ट्र को खत्म करने की बात की गई है. फलीस्तीन के इन दोनों धड़ों ने आपसी विवाद खत्म कर एक दूसरे के साथ हाथ मिला लिया है. बुधवार को इन दोनों के बीच समझौते के करार पर मिस्र की राजधानी काहिरा में दस्तखत भी कर दिए गए. इस समझौते की इस्राएल ने निंदा की है.

लंदन दौरे पर आए इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने पत्रकारों से कहा, "काहिरा में जो कुछ हुआ वह शांति के लिए एक बड़ा झटका और आतंकवाद की एक बड़ी जीत है." नेतन्याहू ने हमास से समझौता करने के लिए फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास की कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि हमास को ईरान और सीरिया से मदद मिलती है और उसने इस्राएली शहरों पर गजा से रॉकेट हमले किए हैं.

Mahmoud Abbas
मिस्र का असर...तस्वीर: picture alliance/dpa

बुधवार की शाम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से मुलाकात के पहले नेतन्याहू ने कहा, "शांति बहाल करने का एक ही तरीका है कि हमारे पड़ोसी भी शांति चाहते हों. जो हमें मिटाना चाहते हैं, हमारे खिलाफ आतंकवाद फैला रहे हों वे शांति की राह में हमारे सहयोगी नहीं हो सकते." वहीं ब्रिटेन ने इस समझौते का स्वागत किया है. प्रधामंत्री कैमरन की प्रवक्ता ने कहा,"हमें उम्मीद है कि फतह और हमास के बीच समझौता आगे बढ़ने की दिशा में एक कदम है. साफ है कि हम फलीस्तीनी सरकार को उसके कदमों के आधार पर परखेंगे. हम चाहते हैं कि अगर फलीस्तीन की सरकार बनती है तो वह हिंसा को ना कहे और सार्थक शांति प्रक्रिया में शामिल हो."

नेतन्याहू से बातचीत के पहले जारी एक छोटे संदेश में कैमरन ने कहा कि ब्रिटेन यह मानता है कि अरब जगत में उठे विद्रोहों की बयार ने यह मौका दिया है कि मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए. उधर नेतन्याहू का कहना है, "मध्यपूर्व में लोकतांत्रिक और संयमित ताकतों की क्रूर और आतंकी ताकतों के साथ एक बड़ी जंग चल रही है. मुझे लगता है कि मध्यपूर्व और शांति का भविष्य इस बात से तय होगा कि इन दो ताकतों के बीच जीत किसकी होती है."

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया क्वार्टेट के प्रतिनिधी टोनी ब्लेयर ने कहा है कि हमास को इस्राएल विरोधी रवैया बदलना होगा. इस चौकड़ी में अमेरिका,रूस, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र शामिल हैं. एक इस्राएली टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ब्लेयर ने हमास के नेता इस्माइल हानिया का जिक्र किया. इस्माइल ने ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की निंदा की है. इस्माइल ने ओसामा को अरब का धर्मयोद्धा कहा है. ब्लेयर का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमास को शांति प्रक्रिया में शामिल करने के लिए तैयार है लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब वह इस्राएल को मान्यता दे, हिंसा छोड़े और दस्तखत किए करारों को माने.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम