फिक्सिंग कांड से क्रिकेट का अपमानः धोनी
५ सितम्बर २०१०इंग्लैंड में क्रिकेट के दौरान मैच फिक्सिंग कांड के बारे में पूछे जाने पर भारतीय क्रिकेट के कप्तान ने कहा, "यह बेहद दुखद है. जांच चल रही है. मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग जैसी चीजों से क्रिकेट का अपमान होता है."
धोनी ने कहा, "यह सिर्फ उन खिलाड़ियों या उस टीम तक सीमित नहीं रहता है, जो मैच फिक्सिंग कर रहे होते हैं. बल्कि लोग क्रिकेट की पूरी दुनिया के बारे में सोचने लगते हैं कि कहीं दूसरे भी तो इसमें शामिल नहीं. इसका मतलब आप किसी भी टीम में हों, कोई फर्क नहीं पड़ता है."
उन्होंने भारत के एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "जब किसी मैच में कम स्कोर बनता है तो लोग सोचने लगते हैं कि कहीं यह मैच फिक्स तो नहीं है. आप जब मैदान में कड़ी मेहनत करके पसीना बहाते हैं तो यह सुनना बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा कि कहीं मैच फिक्स तो नहीं."
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान के तीनों क्रिकेटरों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, धोनी ने कहा, "मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूं क्योंकि मैं आपसे कह चुका हूं कि यह किसी एक पक्ष का मामला नहीं रह जाता है. इसलिए ऐसी चीजों के लिए तो सख्त सजा मिलनी ही चाहिए."
भारतीय कप्तान का कहना है कि मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग में शामिल खिलाड़ियों को हर कीमत पर क्रिकेट से दूर रखा जाना चाहिए क्योंकि इससे पूरी टीम और क्रिकेट पर असर पड़ता है. हालांकि उन्होंने कहा कि टीम इंडिया के खिलाड़ियों को लेकर उन्हें कभी इस बात की चिंता नहीं हुई कि वे मैच फिक्सिंग में शामिल हो सकते हैं. धोनी का कहना है कि भारत के क्रिकेटर देश की इज्जत के लिए खेलते हैं.
उन्होंने कहा, "खिलाड़ी जोश में भरे होते हैं. मैं इस बात के बारे में सोच भी नहीं सकता हूं. आखिर में क्या फर्क पड़ता है. एक सीमा के बाद पैसे की कोई अहमियत नहीं होती. आप वही खाना खाते हैं, उसी कार में घूमते हैं."
भारतीय टीम की प्रशंसा करते हुए धोनी ने कहा, "सभी खिलाड़ी मध्य वर्ग से आते हैं. वे स्थिति को समझते हैं. मैं समझता हूं कि उनमें से ज्यादातर खिलाड़ी देश के लिए खेलना चाहते हैं. वे इतने चालाक तो जरूर हैं कि समझते हैं कि अगर भारत के लिए खेलना जारी रखेंगे तो पैसे आते रहेंगे. मुझे लगता है कि करियर के शुरुआती सालों में उन्हें जो संघर्ष करना पड़ता है, उसके बाद वे पैसों के बारे में नहीं सोच सकते हैं."
टीम इंडिया को टेस्ट मैचों में नंबर वन तक पहुंचाने वाले माही कहते हैं कि शुरुआत में क्रिकेटरों को बेहद संघर्ष करना पड़ता है. रेल के स्लीपर क्लास में सफर करना पड़ता है. बसों में जाना पड़ता है. "मुझे लगता है कि ज्यादातर क्रिकेटर ऐसे फेज से गुजरते हैं. मुझे नहीं लगता कि भारतीय टीम में इसके बाद कोई फिक्सिंग कर सकता है."
करीब 10 साल पहले मैच फिक्सिंग का पहला बड़ा मामला भारत में ही उजागर हुआ था, जिसके बाद उस वक्त के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा जैसे क्रिकेटरों का करियर खत्म हो गया था.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एन रंजन