फिर चला मैर्केल का मैजिक
२७ सितम्बर २००९मैर्केल ने जब 2005 में पहली बार जर्मन चांसलर का पद संभाला, तो एक राजनीतिक भूचाल आ गया. मैर्कल हर लिहाज़ से अलग थीं. न सिर्फ वह पहली महिला चांसलर बनीं, बल्कि इस पद पर पूर्वी जर्मनी से ताल्लुक़ रखने वाले पहली नेता भी बनीं. डॉक्टर अंगेला मैर्केल ने फ़ीज़िक्स में पीएचडी की है. यही उनका वह हथियार समझा जाता है जो उन्हें तार्किक और ठंडे दिमाग़ से फ़ैसला लेने वाला बनाता है. मैर्कल के चांसलर बनने के बाद जानकार तो यह कहते हैं कि उन्होंने अपनी सीडीयू यानी क्रिशचन डेमोक्रट्स पार्टी का चरित्र ही बदल दिया. मैर्केल प्रोटस्टंट हैं, उन्होंने दो बार शादी की है और उनका कोई बच्चा नहीं है. पारंपरिक रूप से यह रूढ़ीवादी माने जाने वाले सीडीयू के चरित्र के ख़िलाफ़ है.
राजनीतिक सफर
जर्मन एकीकरण के साथ मैर्कल 1990 में सीडीयू की सदस्य बनीं. उनके परिवार में ही इस फ़ैसले को आश्चर्य से देखा गया क्योंकि कहा जाता था कि अपने मूल्यों को देखते हुए मैर्केल को ग्रीन पार्टी के साथ करीबी दिखती थी. जल्द ही उस वक्त के जर्मन चांसलर हेलमुट कोल ने मैर्केल का समर्थन करना शुरू किया. उन्होने 1991 में ही मैर्कल को परिवार कल्याण मंत्री और फिर पर्यावरण मंत्री बनाया. राजनीतिक हलक़ों में कोल के साथ उनकी क़रीबी बहुत शक की नज़र से देखी जाती थी और मैर्कल को कोल्स मैडशन यानी कोल की लड़की कह कर पुकारा जाता था. उस वक्त उन्के बालों और कपड़ों के स्टाइल पर भी मज़ाक उड़ाया जाता था.
1998 में चुनाव हारने के बाद सीडीयू एक और गंभीर संकट में पड़ गई, जब पता चला कि कोल और कई दूसरे राजनीतिज्ञों पर करोड़ों यूरो की हेरा फेरी के आरोप लगे. कोल को इस्तीफ़ा देना पडा और मैर्कल पार्टी की अध्यक्ष बनीं. कइयों ने मैर्कल पर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी के संकट को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. दूसरों का कहना है कि संकट ने मैर्कल को कोल के बग़ैर अपनी क़ाबिलियत दिखाने और उनके साए से बाहर आने का मौक़ा दिया. साल 2005 में वक्त से पहले जर्मनी में चुनाव हुए तब सीडीयू को उस वक्त के चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर और उनके सोशल डेमोक्रैट्स से कुछ ही ज़्यादा वोट मिले. आम तौर पर विरोधी समझी जाने वाली पार्टियों ने मिल कर सरकार बनाने का फ़ैसला किया और मैर्केल चांसलर बन गईं.
चांसलर की चुनौतियां
पिछले चार साल में मैर्केल ने कई बार साबित किया कि वह क्यों फ़ोर्ब्स पत्रिका की सूची में चार बार दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला चुनी गईं. जर्मनी में 2007 में हुए जी 8 शिखर सममेलन में उन्होंने दुनिया के सबसे ताक़तवर देशों से लड़ लड़ कर जालवायु परिवर्तन से जुड़ा समझौता किया. जब जर्मनी यूरोपीय संघ का अध्यक्ष रहा तब संघ को लेकर एक नए संविघान पर सभी 27 सदस्य देशों को राजी करना था. मैर्केल के प्रयासों से, कभी उन्की सख़्ती से तो कभी उनकी नरमी से लिसबन संधि को अमल में लाए जाने का रास्ता साफ़ हुआ.
जिन लोगों ने 2005 में मैर्केल को वोट नहीं दिया, उनमें से कई आज कहते हैं कि मैर्केल ने खुद को साबित किया है और कि वह आज की जर्मन राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं देख रहे हैं. बस एक ही आलोचना उनको शुरू से ही सहनी पडती है कि वह हंसती कम हैं. राजनीति से अलग मैर्केल खाना बनाना, लंबे सैर पर जाना और संगीत सुनना चाहती हैं.
रिपोर्टः प्रिया एसेलबॉर्न
संपादनः ए जमाल