फीफा पर पारदर्शिता रखने का दबाव
१६ अगस्त २०११ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि फीफा को अपने वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यकाल की समय सीमा तय करनी चाहिए. स्वतंत्र समूहों का गठन करके भ्रष्टाचार के मुद्दों की जांच होनी चाहिए और "पारदर्शिता को अपनाना चाहिए".
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा कि फीफा के हाल के उपायों के बावजूद ऐसा लगता है कि फुटबॉल की नियामक ईकाई को अब भी "बूढ़ों का नेटवर्क" चला रहा है. साथ ही ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा है कि फीफा में ऐसे लोगों को शामिल किया जाना चाहिए जो बाहर के हैं, जैसे वरिष्ठ राजनेता, प्रायोजक, मीडिया और सिविल सोसाइटी. इसके अलावा फुटबॉल जगत से जुड़े खिलाड़ी, महिला फुटबॉल खिलाड़ी, रेफरी और प्रशंसकों को भी इसमें शामिल करना चाहिए.
बदलाव की दरकार
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की खेल सलाहकार सिल्विया शेंक कहती हैं, "फीफा सुधार की बात करता है. लेकिन एक के बाद एक घूस कांडों ने जनता के बीच उसकी छवि खराब की है. कई चीजों की जरूरत है जैसे एक निरीक्षण समूह के साथ कार्य करना, उनकी राय लेना, उनको जांच में शामिल होने देना. इससे यह पता चलेगा कि वाकई फीफा असली बदलाव चाहता. यह प्रक्रिया अभी शुरू होनी चाहिए."
फीफा के अध्यक्ष जेप ब्लाटर को इस साल जून में चौथी बार अध्यक्ष चुना गया है. उन्होंने वादा किया है कि निगरानी के लिए एक समिति का गठन करेंगे. उस वक्त ब्लाटर ने समिति के लिए अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर और स्पेन के प्लासिदो दामिंगो के नाम सुझाए थे. लेकिन अब तक उन्होंने इस मामले में और जानकारी नहीं दी है. बर्लिन स्थित निगरानी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "फीफा गैर सरकारी और गैर मुनाफे वाला संगठन है, लेकिन उसे भारी राजस्व प्राप्त होता है. इसकी अभूतपूर्व पहुंच, राजनीतिक रसूख और दुनिया भर में विशाल सामाजिक प्रभाव है."
भ्रष्टाचार के आरोप
संस्था के मुताबिक फीफा अपने 208 सदस्य वाली एसोसिएशन के लिए ही उत्तरदायी है. यही सदस्य फीफा के अध्यक्ष का चुनाव करते हैं और उसके बदले उन्हें फीफा के सुझाव मिलते हैं. रिपोर्ट कहती है, "बाहरी दुनिया को अनिवार्य जवाबदेही की कमी से ऐसा नहीं लगता है कि बदलाव संस्था के भीतर से आएंगे या फिर फुटबॉल संगठनों के अंदर से."
फीफा पर पिछले साल भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. कार्यकारी समिति के दो सदस्यों पर पिछले नवंबर में बैन लग चुका है. उन पर अपने वोट बेचने का आरोप है. पिछले महीने ही एशियाई फुटबॉल संघ के अध्यक्ष मोहम्मद बिन हम्माम पर आजीवन प्रतिबंध लगा. उन पर अध्यक्ष पद के लिए वोट खरीदने का आरोप है. जून में फीफा अध्यक्ष पद के चुनाव में हम्माम ने ब्लाटर के खिलाफ खड़े थे, लेकिन ऐन वक्त पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी.
तह तक जाना होगा
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक इन मामलों में तह तक तक कार्रवाई नहीं हुई. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल कहती है, "पूरी तरह से पारदर्शी जांच न होने के कारण समस्या की जड़ तक पहुंच नहीं पाया जा सकता."
संस्था कहती है कि आचार संहिता समिति बंद दरवाजों में सुनवाई करती है. उसके मुताबिक, "आचार संहिता समिति के सदस्यों को फीफा की कार्यकारी समिति नियुक्त करती है. ऐसे में उनकी स्वतंत्रता के बारे में संदेह पैदा करती है."
रिपोर्ट: रॉयटर्स /आमिर अंसारी
संपादन: ए कुमार