फुकुशिमाः शायद कभी घर न जाएं जापानी
२९ मार्च २०११25 साल के सबसे बुरे परमाणु संकट के जूझते जापान के सामने नई मुश्किल प्लूटोनियम के मिलने से तो पैदा हुई ही है. लेकिन और एक संकट यह है कि अगर परमाणु रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए पानी नहीं डाला जाता तो उनके गर्म हो कर पिघलने का खतरा पैदा हो जाएगा और अगर पानी डाला जाता है तो रिएक्टर में लगातार रेडियोधर्मी पानी बढ़ता जाएगा जिसे पंप करना आवश्यक है. कुल मिला कर एक तरफ खाई दूसरी तरफ और गहरी खाई की स्थिति पैदा हो गई है.
खतरनाक नहीं
टोकियो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी, टेपको ने कहा है कि प्लांट की जमीन में हल्की मात्रा में प्लूटोनियम पाया गया है. प्लूटोनियम बहुत खतरनाक रेडियोधर्मी पदार्थ है और परमाणु प्रतिक्रिया में निकला उत्पाद है जो परमाणु बम बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह कैंसर की बीमारी के लिए जिम्मेदार है. जानकारों का मानना है कि फुकुशिमा में खर्च की हुई परमाणु ईंधन की छड़ों से या फिर रिएक्टर तीन को नुकसान के कारण प्लूटोनियम मिट्टी में पहुंचा होगा. जापान की परमाणु सुरक्षा एजेंसी का कहना है कि प्लूटोनियम की मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्तर वाली नहीं है लेकिन इससे यह पता लगता है कि रिएक्टर की नियंत्रण प्रणाली टूट गई है. एजेंसी के उपनिदेशक हिदेहिको निशियामा ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, "प्लूटोनियम तब निकलता है जब तापमान बहुत ज्यादा हो जाए. यह भारी पदार्थ है और इतनी आसानी से रिसता नहीं. तो प्लूटोनियम का रिएक्टर से बाहर आना बताता है कि ईंधन में कुछ गड़बड़ी हुई है. अगर मूल नियंत्रण प्रणाली खराब हो गई है तो स्थिति गंभीर है." टेपको के उपाध्यक्ष साकाए मुतो ने बताया कि प्लूटोनियम 238, 239 और 240 की मात्रा पर उनकी नजर है. "लोगों को चिंतित करने के लिए मैं माफी चाहता हूं."
कान के खींचे कान
प्रधानमंत्री नाओतो कान को सासंदों ने लताड़ लगाई है कि उन्होंने फुकुशिमा के आस पास खाली इलाके का दायरा नहीं बढ़ाया है. जबकि कान ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सलाह मशविरा कर रहे हैं. अगर और इलाके को खाली करवाया जाता है तो एक लाख तीस हजार और लोगों को हटाना पड़ेगा. 70 हजार लोग पहले ही हटाए जा चुके हैं.
आंशिक पिघलाव
फुकुशिमा के कर्मचारियों को और कई हफ्ते इस संकट को खत्म करने में लगेंगे. और वह बहुत ही खतरनाक स्थितियों में काम करने को मजबूर हैं. उनकी कोशिश है कि प्लांट की कूलिंग प्रणाली फिर से शुरू हो जाए और बढ़ते तापमान से परमाणु ईंधन की छड़ें न पिघल जाएं.
चेरनोबिल की परमाणु दुर्घटना के बाद जापान का परमाणु संकट दुनिया के इतिहास का एक सबसे बड़ा संकट है. इसके कारण इस इलाके की सब्जियां, दूध और पानी रेडियोधर्मी पदार्थों से प्रदूषित हो गए हैं.
गुस्साए लोग
अनिश्चित और लंबे समय तक चलने वाली इस मुश्किल के कारण टेपको ने फ्रांस के इलेक्ट्रिसिटे डे फ्रांसे एसए और अरेवा एसए से मदद ली है. यह जानकारी फ्रांस की सरकार ने दी है. जापान के अधिकारियों ने अमेरिका के परमाणु नियामक आयोग प्रमुख ग्रेगरी त्जको से मुलाकात की.
जानकारों का कहना है कि उन्हें जापान से पूरी जानकारी नहीं मिल रही है इस कारण स्थिति का जायजा लेने के लिए उनके पास नियमित सूचनाएं नहीं हैं.
फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के आस पास रहने वाले हजारों किसान, मछुआरे, पशुपालकों के सामने बड़ी मुश्किल है क्योंकि हो सकता है कि वह कभी अपने घर ही न लौट पाएं. उत्तर पूर्वी जापान का जो इलाका सुनामी से तबाह हो गया है वहां की अधिकतर जमीन खेती और फार्मिंग की थी. सब्जियों में रेडियोधर्मी पदार्थ मिलने के बाद इस इलाके की सब्जियों को प्रतिबंधित कर दिया गया. जापानी मडिया ने खबर दी कि इस कारण किसानों की आजीविका खतरे में है. बताया जाता है कि फुकुशिमा दायची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से पैदा की जाने वाली बिजली टोक्यो के लिए इस्तेमाल की जाती है इस कारण लोगों में और गुस्सा है.
जापान की सरकार और कई जानकार जापान के परमाणु संकट की चेरनोबिल से तुलना को गलत बताते हैं लेकिन उस दुर्घटना में और जापान में उत्सर्जित होने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ वहीं हैं. दोनों ही जगह आयोडीन 131, केशियम 137 और 137 मिले हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ईशा भाटिया