फुटबॉल का कर्ज उतारना चाहते हैं बाइचुंग भूटिया
३० अक्टूबर २०१०इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने देश के विभिन्न शहरों में फुटबॉल स्कूल खोलने का फैसला किया है जहां उभरते खिलाड़ियों की पहचान कर उनको फुटबॉल के गुर सिखाए जाएंगे. पुर्तगाल की कार्लोस क्विरोज फुटबॉल अकादमी के सहयोग से देश में ऐसा पहला स्कूल 30 अक्तूबर को राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में खोला जा रहा है. तीन दिन पहले अपने गृह राज्य सिक्किम में भी भूटिया ने उभरते फुटबॉलरों के लिए कई योजनाओं का खुलासा किया था.
पुर्तगाल के मशहूर कोच कार्लोस क्विरोज इस स्कूल में आने वाले छात्रों के प्रशिक्षण के तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखेंगे. वे दो कोच यहां भेजेंगे जो पूरे साल इन छात्रों को फुटबॉल की बारीकियां सिखाएंगे.
बाइचुंग कहते हैं कि यह स्कूल मेरा सपना था. नोएडा के बाद बैंगलोर और मुंबई समेत कुछ और शहरों में भी ऐसे स्कूल खोलने की उनकी योजना है. स्कूल का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, "इसमें तीस फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित होंगी. उनसे कोई पैसा नहीं लिया जाएगा. बाकी सीटों पर दाखिला लेने वालों को फीस देनी होगी. यह स्कूल बच्चों को फुटबॉल के प्रति आकर्षित करने में एक अहम भूमिका निभाएगा."
इस स्कूली शिक्षा के बाद चुनिंदा बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए उनको बाइचुंग की प्रस्तावित फुटबॉल अकादमी में भेजा जाएगा. बाइचुंग अपने मित्र और फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम के साथ मिल कर सिक्किम में इस अकादमी की स्थापना कर रहे हैं. सिक्किम के अलावा कोलकाता में भी ऐसी ही एक अकादमी की योजना है. राज्य सरकार ने इसके लिए उनको जमीन देने पर सहमति दे दी है. वह कहते हैं कि इस अकादमी का काम अगले साल जून में शुरू हो जाने की उम्मीद है.
अपने संन्यास का जिक्र करते हुए बाइचुंग कहते हैं, "अभी दो-तीन साल तक खेलना चाहता हूं. लेकिन हो सकता है अगले साल एशिया कप के बाद ही राष्ट्रीय टीम से संन्यास ले लूं. यह सब फिटनेस पर निर्भर है."
बाइचुंग कहते हैं कि करियर के अंतिम दौर में पहुंच कर उन्होंने इस खेल और नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की कई योजनाएं बनाई हैं. उनमें से पहली योजना फुटबॉल स्कूल खोलने की है.
रिपोर्टः कोलकाता से प्रभाकर मणि तिवारी
संपादनः वी कुमार