फेसबुक, गूगल ने भारतीय कोर्ट में जवाब दिया
६ फ़रवरी २०१२गूगल इंडिया ने भी अदालत से कहा कि उसने उन चीजों को अपनी वेबसाइट पर से हटा दिया है, जिन पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई थी. इस बीच फेसबुक, याहू और माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने कोर्ट से कहा है कि इस मामले में उनका कोई रोल नहीं बनता है क्योंकि उनके खिलाफ कोई मामला बनता ही नहीं.
अतिरिक्त जज प्रवीण सिंह ने याचिकाकर्ता मुफ्ती एजाज अहमद काजमी के वकील से यह भी जानना चाहा कि क्या इस मामले में उन कंपनियों को भी पार्टी बनाया जा सकता है, जो ब्लॉग सेवा देते हैं. कई ब्लॉगों पर भी आपत्तिजनक बातें लिखने के आरोप हैं.
गूगल इंडिया को झिड़कते हुए अदालत ने कहा कि उसने इस मामले में विस्तृत जवाब क्यों नहीं तैयार किया है. उसने गूगल की इस दलील को खारिज कर दिया कि उन्हें अदालत की कॉपी शुक्रवार को ही मिली है. अदालत ने कहा, "आप (गूगल इंडिया) ढंग से अपना जवाब तैयार करके क्यों नहीं आए. आप मुझसे यह मत कहिए कि आपको शुक्रवार को ही इस मामले का पता चला. हाल के दिनों में इस मामले को लेकर जो कुछ हंगामा हो रहा है, उसे देखते हुए आपको तैयारी कर लेनी चाहिए थी."
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपने वे सभी दस्तावेज विरोधी पार्टी को भी सौंपे, जिसके आधार पर उसने याचिका दायर की है. पिछले साल 20 दिसंबर को अदालत ने 22 वेबसाइटों को आदेश दिया था कि वे अपनी साइट से "धर्मविरोधी" और "समाजविरोधी" सामग्री हटाएं. ये सामग्री फोटो, वीडियो या टेक्स्ट के रूप में हो सकती है, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं. इस काम के लिए अदालत ने छह फरवरी की समयसीमा तय की थी.
याचिकाकर्ता काजमी के वकील संतोष पांडे ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह सभी पार्टियों को अपनी याचिका और इससे जुड़े दस्तावेज की कॉपी मुहैया करा देंगे. अदालत का फैसला सोशल वेबसाइटों की निगरानी के लिए उठ रहे सवाल के बीच आया है. भारत के टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इन वेबसाइटों के अधिकारियों से बात की है और उन्हें आपत्तिजनक चीजें हटाने को कहा है.
जिन वेबसाइटों को आपत्तिजनक चीजें हटाने को कहा गया है, उनमें फेसबुक इंडिया के अलावा फेसबुक, गूगल इंडिया, गूगल ऑर्कुट, यूट्यूब, ब्लॉगस्पॉट, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट, जॉम्बी टाइम, एक्सबोई, बोर्डरीडर, आईएमसी इंडिया, माई लॉट, शाइनी ब्लॉग और टॉपिक्स शामिल हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह