फॉर्मूला ट्रैक के डॉक्टर की मौत
१३ सितम्बर २०१२वॉटकिन्स ने 1982 में जर्मन ग्रां प्री के दौरान फरारी चालक दिदियर पिरोनी, 1994 में इमोला में जॉर्डन के रुबेन्स बारिकेलो और 1995 में एडिलेड में मैक्लैरेन चालक मिका हाकीनन की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि बाद में पिरोनी की एक रेस के दौरान ही मौत हो गई. फॉर्मूला वन ऑन ट्रैक सर्जन के तौर पर उनका जीवन घटनाओं से भरपूर रहा.
फॉर्मूला वन में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने की वॉटकिन्स की कोशिशों के कारण इस खेल में होने वाली दुर्घटनाएं कम जानलेवा हो पाईं. मैक्लैरेन ग्रुप के चेयरमैन और करीबी दोस्त रॉन डेनिस ने उनकी मृत्यु के समाचार की पुष्टि की और कहा, "आज मोटर रेसिंग की दुनिया ने एक महान व्यक्ति खो दिया है. वो न तो ड्राइवर थे, न इंजीनियर, न ही डिजाइनर थे. वह डॉक्टर थे और यह कहना कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी कि उन्होंने फॉर्मूला वन को सुरक्षित बनाने में किसी और से ज्यादा योगदान दिया. कई चालकों का जीवन आज उन्हीं के शानदार काम के कारण है."
लीवरपूल में पैदा हुए वॉटकिन्स ने 1978 से 2004 तक फॉर्मूला वन सर्किट पर काम किया और बहुत मशहूर हुए. बारिकेलो ने ट्विटर पर लिखा, "सिड वॉटकिन्स ही थे जिन्होंने इमोला में 1994 में मेरी जान बचाई. एक शानदार व्यक्ति. हमेशा खुश रहने वाले. आपने हम चालकों के लिए जो किया उसका बहुत बहुत धन्यवाद."
ब्रूनो सेना जिनके चाचा और महान फॉर्मूला वन ड्राइवर आयर्टन सेना का 1994 में इटालियन ग्रां प्री में दुर्घटना के बाद भी डॉक्टर वॉटकिन्स ने ही इलाज किया था. हालांकि भयंकर चोट की वजह से आयर्टन को बचाया नहीं जा सका.
फॉर्मूला वन के वर्तमान डॉक्टर गैरी हार्टश्टाइन ने वॉटकिन्स के साथ सात साल काम किया. वह कहते हैं, "मैं अकसर फैसला लेने से पहले उन्हें फोन करने के बारे में सोचता. लेकिन फिर मैं विचार करता कि वह इस हालत में कौन सा कदम उठाते. और आखिरकार, अच्छे या बुरे के लिए पता नहीं, लेकिन मैंने पाया कि मैं वही कर रहा हूं जो शायद वह करते. लेकिन शायद उतनी निपुणता से नहीं. मेरे जीवन में उनकी बहुत बड़ी जगह है. एक खास व्यक्ति, जिन्हें मैं जानता था."
न्यूरो सर्जन वॉटकिन्स लंदन के व्हाइट चैपल अस्पताल में काम करते थे. उन्होंने कार के कॉकपिट और ट्रैक पर जीवन सुरक्षित बनाने के लिए बहुत काम किया. अपनी किताब 'लाइफ एट द लिमिट, ट्रायम्फ एंड ट्रेजेडी इन फॉर्मूला वन' में उन्होंने आयर्टन सेना के आखिरी दिनों के बारे में लिखा है. उन्होंने सेना को रेस छोड़ने की सलाह दी थी लेकिन सेना ने कहा, "सिड कुछ मामले ऐसे होते हैं जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता. मैं नहीं छोड़ता. मुझे आगे जाना ही होगा."
एएम/एजेए (एएफपी, डीपीए)