फ्रेंच ओपनः मिट्टी पर उठा टेनिस का तूफान
२७ मई २०१२नडाल के सामने खिताब बचाने की चुनौती है तो जोकोविच लगातार चौथा ग्रैंड स्लैम जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने के लिए बेताब हैं. वहीं रोजर फेडरर मैड्रिड माटर्स जीतने के बाद लय में दिख रहे हैं. महिलाओं में मारिया शारापोवा, ली ना, किम क्लाइटर्स और सेरेना विलियम्स एक दूसरे के आमने-सामने होंगी. कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं. क्या पता चीन की ली ना ही फ्रेंच ओपन की शहजादी बन जाए. और अमेरिका के नए नवेले खिलाड़ी बिग जॉन भी तो कुछ कम नहीं.
महिलाओं का मुकाबला
महिला टेनिस को अक्सर ताकत और खूबसूरती की लड़ाई भी कहा जाता है. मॉडल जैसी ग्लैमरस रुस की मारिया शारापोवा और सेरेना विलियम्स के बीच खिताबी टक्कर के कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन जीत हार का फैसला होगा लगातार बेहतर प्रदर्शन की काबिलियत से. पूरा टूर्नामेंट दो हफ्ते तक चलेगा. सबसे बड़ी समस्या तो मौसम के मिजाज को लेकर है. कब हवाएं चलने लगेगी और कब धूल हो जाएगी पता नहीं. 10 साल पहले इसी मैंदान पर सेरेना ने अपनी ही बहन वीनस को हराकर खिताब अपने नाम किया था लेकिन अब 30 साल की हो चुकी सेरना के लिए जीत की राह उतनी आसान नहीं. हालांकि उन्होने मई की शुरुआत में ही मैड्रिड माटर्स में जीत हासिल कर अपने फॉर्म का परिचय दे दिया है. उन्होंने दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी विक्टोरिया अजारेंका को मात दी है. लेकिन सवाल ये है क्या 13 बार ग्रैंड स्लैम जीत चुकी सेरेना फ्रेंच ओपन में भी जीत का किस्सा दोहरा पाएंगी.
उनके सामने हैं मारिया शारापोवा, जो उम्र में उनसे 5 साल छोटी हैं. मारिया की ताकत लंबे समय तक मैंदान में डटे रहना है. जीत भले न मिले लेकिन मारिया दो सेट खेलने के बाद भी बैक शॉट खेलने का दमखम रखती हैं. आमतौर पर दो सेट खेलने के बाद खिलाड़ी बैक शॉट से घबराने लगते हैं. लेकिन यही मारिया की खूबी है. इस बार वह फ्रेंच जीतकर जीत की चौकड़ी पूरा करना चाहेंगी. लेकिन मारिया की मुश्किलें भी कम नहीं. शारापोवा गलतियां करने के लिए मशहूर हैं. कई बार वह खुद विपक्षी खिलाड़ी को जीत तोहफे में दे देती हैं. वैसे इन दोनों से ज्यादा दांव अजारेंका और ली ना पर लग रहा है. इटली की क्वितोवा भी चौंका सकती हैं.
इतिहास की दहलीज पर राफा
खेल जगत का एक और इतिहास रचे जाने के इंतजार में है. इस बार का फ्रेंच ओपन रफायल नाडाल के लिए बेहद खास है. छह बार फ्रेंच ओपन जीतकर राफा मिट्टी के मैंदान पर अपनी बादाशाहत साबित कर चुके हैं. लेकिन इस बार मौका बेहद खास है. ताजगी से भरपूर रोजर फेडरर और नंबर एक खिलाड़ी जोकोविच नाडाल की जीत पर ब्रेक लगा सकते हैं. 1925 के बाद से फ्रेंच ओपन को विदेशी खिलाड़ियों के लिए खोला गया और तब से बोर्न बोर्ग के बाद 6 ग्रैंड स्लैम जीतने वाले नाडाल दूसरे खिलाड़ी हैं. चारों ग्रैंड स्लैम्स में से सबसे दुसाध्य कहे जाने वाले फ्रेंच ओपन में जीत का जादुई अंक 7 सिर्फ और सिर्फ एक महिला खिलाड़ी ने छुआ है और वो हैं क्रिस एवर्ट. 25 साल के नडाल के लिए इस बार मौका काफी सुनहरा है. सर्बियाई खिलाड़ी नोवाक जोकोविच भी बड़ा उलटफेर कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलियाई ओपन के फाइलन में जोकोविच ने नडाल को जोरदार पटखनी दी थी. पर अब लगता है हार के सदमें से नाडाल उबर चुके हैं. हाल ही में उन्होंने रोम ओपन में जेकोविच को हराया. जोकोविच यूं ही नहीं कहते, "मिट्टी के मैंदान पर पर वो (नडाल) दुनिया का नंबर वन खिलाड़ी है. भले ही मैं उसे सात बार हरा चुका हूं." इससे पहले जोकोविच 2007, 08 और 2011 में तीन बार फ्रेंच ओपन के सेमीफाइनल में पहुंच चुके हैं. इस बार खिताब जीतने के लिए वो जी जान लगा देंगे. अगर जोकोवोच जीते तो वह लगातार चार ग्रैंड स्लैम जीतने वाले टेनिस इतिहास के दूसरे खिलाड़ी बन जाएंगे.
छुपे रुस्तम भी हैं
पिछले साल तक चीन की ली ना का नाम टेनिस की दुनिया में कम ही लोग जानते थे. लेकिन ली ना ने 2011 में फ्रांचेस्का शियावोने को हराकर फ्रेंच ओपन में जीत हासिल की और पूरी दुनिया में रातों रात मशहूर हो गईं. वह सिंगल्स का ग्रैंड स्लैम जीतने वाली एशिया की पहली खिलाड़ी हैं. हालांकि 30 साल की ली ना के लिए पिछला कुछ वक्त अच्छा नहीं रहा है. आस्ट्रेलियाई ओपन में वो विक्टोरिया अजारेंका से हार चुकी हैं फिर भी खिलाड़ियों के पायदान पर सातवें नंबर पर कायम हैं. और जीत का जीत का दावा भी कर रही हैं, "फोरहैंड और बैक हैंड मेरी समस्या नहीं है. बस मैच को खत्म करना मेरी लिए समस्या है."
पुरुषों की श्रेणी में अमेरिकी खिलाड़ी बिग जोन छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं. साल 2010 में विम्बल्डन का एक मैच जीतने में उन्होंने 11 घंटे का वक्त लिया था. और इसी वजह से वो चर्चा में भी आए थे. लेकिन अब 2012 में अमेरिका की उम्मीदें उन्हीं पर टिकी हुई हैं. इससे पहले आंद्रे आगासी थे जिन्होने आखिरी बार अमेरिका के लिए यह 1999 में खिताब जीता था. 2
वीडी/ओएसजे (एएफपी)