फ्लाइंग रानी के साथ पहुंचे लंदन से दिल्ली
२३ सितम्बर २०११तीन पहिए वाला ऑटो रिक्शा निश्चित ही कुछ हजार किलोमीटर और 14 देशों की यात्रा के लिए ऐसी गाड़ी नहीं है जो आरामदेह हो और तेज हो. बहरहाल एकदम देसी काली और पीली ऑटो के साथ संजय शर्मा ने लंदन से दिल्ली की दूरी तय की. 175 सीसी के इंजन वाली फ्लाइंग रानी के साथ संजय शर्मा ने पर्वत, घाटियां पार कीं. कई हजार किलोमीटर के इस सफर में सिर्फ एक बार छोटी सी दुर्घटना हुई. संजय शर्मा बताते हैं, "यह 10,200 किलोमीटर चली लेकिन सिर्फ एक बार इसका टायर पंचर हुआ."
संजय शर्मा ने 2008 में फ्लाइंग रानी को खरीदा क्योंकि वह भारत का कोई प्रतीक लाना चाहते थे और जब उन्होंने इसे ब्रिटेन में किराए पर देना शुरू किया तो यह उनकी आय का एक स्रोत बन गया. वे इसे भारतीय शादियों के लिए किराए पर देते जिसमें दुल्हा घोड़े पर बैठने की बजाए ऑटो में बैठकर बरात ले जाता. शर्मा कहते हैं, "मैं अपने ऑटो से प्यार करता हूं." वह यह भी कहते हैं कि ऑटो इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है लेकिन इसे अकसर कम करके आंका जाता है.
ऑटो रिक्शा भारत में टैक्सी का सस्ता विकल्प है. संजय शर्म और उनके साथ यात्रा करने वाले दो साथियों ने रिक्शे में थोड़ा बदलाव करने का फैसला किया. उसके ब्रेक बदले, सुरक्षा के लिए दरवाजे लगाए... आरामदेह सीटें, और जीपीएस नेविगेशन लगाया लेकिन इंजन नहीं बदला.
14 जुलाई को उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की और फ्रांस, बुल्गेरिया और ईरान से होते हुए भारत जाने का फैसला किया. अपनी यात्रा शुरू करने के साथ ही वे मशहूर होते गए, और अपनी अजीब गाड़ी के साथ हर पेट्रोल पंप पर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गए.
संजय शर्मा ने कहा, "हमें लोगों ने मुफ्त में पीने के लिए दिया और कभी कभी मीठा भी और अक्सर लोगों ने कहा कि आप लोग बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं." लेकिन यह भी मानते हैं कि इस यात्रा में मुश्किलें भी थी. "आप इस छोटी सी जगह में हैं और थोड़े समय बाद आप एक दूसरे से ऊब जाते हैं. मेरा एक दोस्त जो मैकेनिक था, वह ईरान तक था और दूसरा तुर्की तक. क्योंकि उन्हें काम था. ईरान और भारत का कठिन इलाका एक बड़ी मुश्किल था."
संजय शर्मा को उम्मीद है कि वह इस यात्रा से करीब 40 लाख रुपये जुटा सकेंगें और शायद वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उनके नाम हो जाएं. लेकिन फिलहाल वे फ्लाइंग रानी की सवारी नहीं करना चाहते. इसे जहाज से ब्रिटेन भेजा जाएगा.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः ए कुमार