बच्चों को दूध पिलाने से ब्लड प्रेशर काबू में
२ नवम्बर २०११अमेरिकी पत्रिका जरनल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि स्तनपान के कारण बच्चों और माओं, दोनों को ही अतिरिक्त लाभ होते हैं. हालांकि यह पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि सिर्फ स्तनपान के कारण ही रक्तचाप नियंत्रण में रहता है.
मां का दूध शिशुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और उन्हें डायरिया और कान में होने वाले संक्रमणों से बचाता है. पुराने शोधों में पाया गया है कि जो महिलाएं अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं उनमें मधुमेह, कोलेस्टेरॉल और दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है.
नए शोध को लिखने वाली नॉर्थ कैरोलिना चैपल हिल यूनिवर्सिटी की शोधार्थी एलिसन स्टॉइबे बताती हैं, "वे महिलाएं जिन्होंने कभी अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाया, उनमें हाई ब्लडप्रशेर का खतरा उन महिलाओं के ज्यादा होता है जो छह महीने तक अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं."
वैसे भी सलाह दी जाती है कि बच्चों को कम से कम छह महीने मां का दूध मिलना चाहिए. इसके बाद ठोस खाने के साथ मां का दूध साल भर तक पिलाया जाना चाहिए. शोध के लिए स्टॉइबे और उनकी टीम ने स्तनपान और उच्च रक्तचाप के बीच संबंध ढूंढने के लिए 50 हजार अमेरिकी महिलाओं की जांच की. इन महिलाओं ने नर्स हेल्थ स्टडी II में लंबे समय के लिए हिस्सा लिया और इनमें से अधिकतर का एक बच्चा तो था ही.
शोध में पाया गया कि कुल 8,900 महिलाओं को उच्च रक्तचाप हुआ. लेकिन कुल मिला उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने वाली उन्हीं महिलाओं की संख्या ज्यादा रही जिन्होंने अपने बच्चों को छह महीने से कम दूध पिलाया.
साल भर बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हाई ब्लडप्रशेर की शिकायत तीन महीने या और कम समय दूध पिलाने वाली महिलाओं से कम होती है. इसके साथ खान पान की आदतें, कसरत और धूम्रपान की आदतों पर भी नजर रखी गई.
स्तनपान के सीधे फायदे भी बहुत हैं, एनिमल रिसर्च के दौरान सामने आया कि दूध पिलाने के दौरान मांओं के शरीर में ऑक्सीटोसीन नाम का एक हारमोन निकलता है जिसका रक्तचाप नियंत्रित करने में बड़ा योगदान होता है. यह भी देखा गया है कि दूध पिलाने के बाद महिलाओं का ब्लड प्रेशर कुछ समय के लिए सामान्य से थोड़ा कम हो जाता है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/आभा मोंढे
संपादन: ए कुमार